रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया और एड हॉक कमेटी के बीच चल रही खींचा तानी का हर्जाना भारतीय रेसलर्स भुगत रहे हैं। डब्ल्यूएफआई और एडहॉक समिति ने अलग-अलग नेशनल्स कराने का फैसला किया जिससे खिलाड़ी असमंजस में पड़ गए हैं। फेडरेशन ने पुणे में नेशनल्स का आयोजन किया जिसमें कोई बड़ा नाम शामिल नहीं हुआ। साथ ही जो खिलाड़ी हिस्सा लेने वहां पहुंचे वह सुविधाओं को लेकर नाखुश नजर आए।

पुणे में नजर नहीं आए बड़े नाम

पुणे में शुरु हुए नेशनल्स में कोई बड़ा नाम नजर नहीं आया। रेसलिंग के पवर हाउस कहे जाने वाले रेलवे, सर्विस और पंजाब ने इन नेशनल्स को अहमियत नहीं दी। हालांकि कई स्टेट बॉडीस अपने जूनियर खिलाड़ियों को इन नेशनल्स में हिस्सा लेने भेजा। खेल मंत्रालय ने यह साफ किया था कि पुणे में हो रहे नेशनल्स में दिए जाने वाले सर्टिफिकेट्स को सरकारी नौकरी के लिए मान्य नहीं माना जाएगा।

खिलाड़ियों के सामने बड़ी परेशानी

कुछ खिलाड़ियों ने एड हॉक और रेसलिंग फेडरेशन दोनों के नेशनल्स में जाने का फैसला किया। हालांकि इन खिलाड़ियों के लिए दो बार अपना वजन मेंटेन करना एक चुनौती है। कर्नाटक के रेसलर ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘हमारा स्टेट एसोसिएशन पुणे से जयपुर के हमारे सफर को आसान बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है। हम दो बार वेट को मेंटेन रखने को लेकर परेशन है। बिना कुछ खाए-पिए 4-5 दिन तक वजन को बनाए रखना आसान नहीं है।’ इसी कारण खिलाड़ियों के लिए दोनों ट्रायल्स में हिस्सा लेना मुश्किल हो गया।

फेडरेशन और समिति के बीच फंसे रेसलर्स

हरियाणा के रेसलर्स के लिए यह ज्यादा मुश्किल समय है। वह पहले ही दो स्टेट के ट्रायल्स, जिले के ट्रायल्स में हिस्सा ले चुके हैं। अब उन्हें पुणे और जयपुर में जाना है। 55 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा ले रही ज्योति ने कहा, ‘प्लेयर्स को एक मुश्किल फैसला करने के लिए छोड़ दिया गया। हम फंस गए।’ खिलाड़ियों के साथ आए ओक कोच ने कहा, ‘इनका आपस का लफड़ा था पर नुकसान रेसलर्स का हुआ।’

नेशनल्स में हिस्सा लेने आए खिलाड़ियों का रहना का इंतजाम स्टेडियम में दो किमी दूर किया गया। खिलाड़ियों को वहां से पैदल आने को कहा गया। जिस जगह रुकने को कहा गया वहां बाथरूम में पानी तक नहीं था। ऐसे में रेसलर्स को खुद से कहीं और रुकने का इंतजाम करना पड़ा। खिलाड़ियों को मच्छरों के कारण मुकाबलों में परेशान होना पड़ा।