एशियन गेम्स के लिए हो रही पहलवानों की चयन प्रक्रिया विवादों में घिर गई है। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लंबे समय तक प्रदर्शन करने वाले पहलवान एशियन गेम्स के लिए इस वक्त तैयारी कर रहे हैं, लेकिन साक्षी मलिक ने जिस तरह से चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं उसके बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई नियमों को ताक पर रखकर भारतीय कुश्ती दल तैयार किया जा रहा है?
विनेश और बजरंग के चयन पर मचा घमासान!
यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की तदर्थ समिति ने बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट को ट्रायल से छूट देने का फैसला किया है। समिति के इस फैसले से 65 किग्रा. फ्री स्टाइल और कुछ महिला रेसलर नाराज हो गए हैं। अंतिम पंघाल और सुजीत कलकल ने तो दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया है, जबकि कई पहलवान गुरुवार को IOA के हेडक्वार्टर पहुंच गए थे।
दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा मामला
इस विवाद के बीच अमित पंघाल और सुजीत कलकल की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने तदर्थ समिति से पूछा है कि बजरंग पुनिया और विनेश को ट्रायल में छूट देने का फैसला किन मापदंडों के तहत लिया गया है अथवा उसमें रेसलर की प्रतिष्ठा क्या थी? इस पर IOA की तदर्थ समिति का कहना है कि विनेश और बजरंग को ट्रायल में छूट इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की पॉलिसी के अनुसार 2022 वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे।
WFI ने अपनी पॉलिसी का दिया हवाला
डब्ल्यूएफआई की पॉलिसी में कहा गया है कि पिछले ओलंपिक और विश्व चैम्पियनशिप में मेडल जीतने वाले पहलवानों को एशियन गेम्स में सीधे एंट्री मिलेगी। ऐसे में यहां सवाल उठता है कि फिर रवि दहिया को ट्रायल में छूट क्यों नहीं दी गई? उन्होंने भी टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था। हालांकि जानकारी यह भी है कि रवि दहिया को फिटनेस की वजह से ट्रायल में छूट नहीं दी गई है।
रवि दहिया को देना होगा ट्रायल!
आईओए एडहॉक कमेटी की पॉलिसी से परिचित एक व्यक्ति ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि रवि दहिया एशियन गेम्स के लिए एक पात्र कैंडिडेट हैं। उनके नाम पर चर्चा हुई थी लेकिन कोच और समिति के सदस्यों को लगा कि वह चोट से जूझ रहे हैं इसलिए उनकी कैटेगिरी में एक ट्रायल की आवश्यकता जरूरी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, तदर्थ समिति को इस बात का अंदाजा था कि पहलवानों की सीधी एंट्री की घोषणा के बाद कोई न कोई तो अदालत जरूर जाएगा, इसीलिए उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि अदालतें इस मामले पर फैसला करें। ऐसी संभावना है कि एशियन गेम्स के करीब एक मामले की सुनवाई समाप्त हो जाएगी।
WFI की शुरुआती योजना थी ट्रायल लेने की
रिपोर्ट के मुताबिक, एडहॉक समिति के अध्यक्ष भूपेंदर बाजवा ने 16 जून को पहलवानों को खत लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि चयन के लिए ट्रायल दो चरण में लिए जाएंगे। समिति की शुरुआती योजना यही थी कि जो पहलवान बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध के चलते खेल से दूर थे उन्हें पहले चरण में छूट दी जाएगी, लेकिन अन्य पहलवान उसका हिस्सा होंगे। इसके बाद ट्रायल से छूट पाने वाले रेसलर अपने-अपने वजन श्रेणी के विजेताओं से भिड़ेंगे, लेकिन बजरंग और विनेश को एशियाड में सीधे एंट्री देने के बाद इस योजना को रद्द कर दिया गया।
साक्षी मलिक ने उठाए सवाल
WFI की ओर से विनेश और बजरंग को ट्रायल में छूट देने के फैसले के खिलाफ रेसलर साक्षी मलिक ने भी मोर्चा खोल दिया है। साक्षी मलिक ने इस वीडियो में कहा है कि एशियन गेम्स के लिए कुछ पहलवानों को बिना ट्रायल के भेजा जा रहा है, मुझे भी इसके लिए एक ईमेल करने को कहा गया था, लेकिन मैंने साफ इनकार कर दिया।