राजेश राय

विराट कोहली के बल्ले से जादुई तीन अंकों का आंकड़ा निकल नहीं रहा है। उनका पिछला शतक नवम्बर 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ बना था। उस पारी के बाद से विराट 70 पारियों में कोई शतक नहीं बना पाए हैं। श्रीलंका के खिलाफ उम्मीद थी कि विराट शतक लगाएंगे लेकिन दो टैस्टों की तीन पारियों में वे 45, 23 और 13 रन ही बना सके। विराट का टैस्ट औसत पांच वर्षों में पहली बार 50 के नीचे चला गया है। अगस्त, 2017 के उनके 60वें टैस्ट में आखिरी बार उनका औसत 50 से कम होकर 49.55 हुआ था। उसके बाद से उनका करिअर औसत लगातार 40 टैस्ट से 50 से ऊपर है। लेकिन अब उनका औसत 50 से नीचे चला गया है। विराट के अब 101 मैचों में 49.95 के औसत से 8043 रन हैं।

इससे पहले तक उनके बल्ले से टैस्ट में 27 और वनडे में 43 शतक निकल चुके हैं। टी 20 में उन्होंने 97 मैचों में 51.50 के औसत और 137.67 के स्ट्राइक रेट से 3296 रन बनाए हैं। लेकिन सवाल यहां टी 20 का नहीं बल्कि टैस्ट और वनडे का है। यह भी तर्क दिया जा सकता है कि टी 20 प्रारूप के छोटा होने के कारण वे शतक से चूके हैं, क्योंकि पिछले साल की शुरुआत में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ अहमदाबाद में तीन टी20 में नाबाद 73, 77 और 80 रन की पारियां खेली थीं। उनकी वनडे की फॉर्म भी शानदार रही है। उन्होंने पिछली 19 पारियों में 10 अर्धशतक लगाए हैं, जिसमें से चार बार उन्होंने लगातार अर्धशतक लगाए। इस तरह की फॉर्म से गुजरने वाले किसी अन्य बल्लेबाज पर इतने सवाल नहीं दागे गए होंगे जितने विराट पर दागे गए हैं।

शायद कोहली का वर्तमान शतक का सूखा इसीलिए ध्यान आकर्षित कर रहा है क्योंकि उनके श्रेष्ठ स्तर के किसी खिलाड़ी के लिए यह सामान्य नहीं है। निश्चित रूप से ऊपर जिन 22 खिलाड़ियों के बारे में बताया गया है उनका कुल मिलाकर औसत भी 40 का नहीं है, कोहली इनमें ऐसे अकेले बल्लेबाज हैं जिनका टैस्ट और वनडे करिअर में 50 से अधिक का औसत रहा है। कोहली ने इन दो प्रारूपों में 54.77 के औसत से अब तक 20000 रन बनाए हैं। इन 22 बल्लेबाजों में कोहली के करीब अगर है तो वे एंड्यू स्ट्रास हैं, जिन्होंने 38.77 के औसत से टैस्ट और वनडे में 11242 रन बनाए हैं।

इन बल्लेबाजों में शतक के मामले में स्ट्रास ही हैं जो कोहली के करीब हैं, स्ट्रास ने 27 अर्धशतक और कोहली ने 70 अर्धशतक लगाए हैं। अगर टैस्ट और वनडे में शीर्ष पांच सबसे लंबे शतक के सूखे की बात करें, फिर चाहे बल्लेबाज आउट हुए हों या नहीं तो कोहली से ज्यादा यहां 32 ऐसे मामले हैं। नाट आउट के फायदे को छोड़ भी दें तो भी कोहली औसत के मामले में पांचवीं रैंक पर आते हैं।

डेसमंड हेंस मार्च 1991 से अप्रैल 1993 तक लगातार 70 पारियों में शतक नहीं लगा पाए थे लेकिन उनका इन 32 बल्लेबाजों में सबसे ज्यादा 35.77 का औसत रहा। अगस्त 2017 से जनवरी 2019 तक टैस्ट और वनडे में 49 पारियों के सात अलग-अलग हिस्सों में कोहली 17 शतक बना गए होते, क्योंकि इन 49 पारियों में कोहली ने 26 या 27 बार अर्धशतक लगाया है। कोहली की अब टी20 अंतरराष्ट्रीय को शामिल करते हुए 73 पारियां बिना शतक के गुजर गई हैं।

विराट की जगह भारत के कप्तान बनाए गए रोहित शर्मा ने उनका बचाव करते हुए कहा है कि उन्हें सिर्फ एक अच्छी पारी की जरूरत है। विराट के करिअर में 2014 में इंग्लैंड का दौरा एक ऐसा अवसर था जब उनका बल्ला उनसे रूठा रहा था। तब भी कप्तान महेंद्र सिंह धोनी लगातार उनका बचाव करते रहे जिसका फायदा आखिर विराट को मिला। इंग्लैंड दौरे की 10 टैस्ट पारियों में विराट का सर्वाधिक स्कोर 39 रन रहा था। जबकि वनडे सीरीज के चार मैचों में उनका सर्वाधिक स्कोर 40 रन रहा था।

लेकिन धोनी का भरोसा उन पर कायम रहा। इस भरोसे का नतीजा था कि इंग्लैंड से लौटने के बाद वेस्ट इंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज में धर्मशाला में खेले गए तीसरे वनडे में उन्होंने 127 रन की शानदार पारी खेली। वनडे में विराट का आखिरी शतक वेस्ट इंडीज के खिलाफ 14 अगस्त 2019 को पोर्ट आफ स्पेन में बना था तब उन्होंने नाबाद 114 रन बनाए थे। लेकिन इसशतक के बाद 21 वनडे में शतक उनके बल्ले से दूर है जबकि इस दौरान उन्होंने दो बार 89 रन की पारियां खेलीं हैं।

टैस्ट क्रिकेट में उनका आखिरी शतक बांग्लादेश के खिलाफ नवम्बर 2019 में 136 रन थे लेकिन इसके बाद 32 टैस्ट पारियों में उनका सर्वाधिक स्कोर 79 रन रहा है जो इस साल के शुरू में उन्होंने केपटाउन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बनाया था। किसी अन्य बल्लेबाज के साथ यह स्थिति होती तो उसे कभी का रणजी ट्राफी में जाकर अपना प्रदर्शन सुधारने के लिए कह दिया जाता लेकिन यह विराट जैसे बेहद उंचे दर्जे के खिलाड़ी का मामला था इसलिए हर कोई यही उम्मीद लगा रहा था कि उनका फार्म देर सवेर लौट आएगा। अब दो महीनों तक अंतरराष्ट्रीय मैच होने नहीं हैं और इस दौरान केवल आइपीएल ही होगा। ऐसे में विराट के प्रदर्शन पर सभी की निगाहें लगी रहेंगी।अगर वे अच्छा खेलते हैं तो उनके लिए अच्छा रहेगा वर्ना आइपीएल करिअर बनाता है तो बिगाड़ता भी है।