विराट कोहली का नाम क्रिकेट की दुनिया में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। लेकिन अगर कोई एक प्रतिद्वंद्वी है, जिसके खिलाफ कोहली ने हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है, तो वह है पाकिस्तान। इस साल की शुरुआत में चैंपियंस ट्रॉफी से पहले जब कोहली के फॉर्म को लेकर तमाम विशेषज्ञ चिंतित थे, तब पाकिस्तान के दिग्गज तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने भविष्यवाणी की थी कि कोहली पाकिस्तान के खिलाफ ही अपनी लय हासिल करेंगे। और ऐसा ही हुआ। कोहली ने दुबई में नाबाद शतक जड़कर भारत को छह विकेट से शानदार जीत दिलाई।
पाकिस्तान के खिलाफ कोहली का दबदबा
कोहली का पाकिस्तान के खिलाफ रिकॉर्ड किसी भी बल्लेबाज के लिए सपना हो सकता है। उन्होंने 17 वनडे पारियों में 778 रन बनाए हैं, जिसमें चार शतक शामिल हैं। इसके अलावा 11 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में उनके बल्ले से 492 रन निकले हैं, जिसमें पांच अर्धशतक शामिल हैं। लेकिन यह शानदार सफर हमेशा आसान नहीं रहा। कोहली का पाकिस्तान के खिलाफ पहला मुकाबला 2009 चैंपियंस ट्रॉफी में हुआ था, और वह उनके लिए एक कड़वा अनुभव साबित हुआ।
पहला हाई वोल्टेज मुकाबला
2009 में सेंचुरियन में खेले गए चैंपियंस ट्रॉफी के मुकाबले में कोहली ने पहली बार पाकिस्तान का सामना किया। उस समय वह भारतीय टीम का हिस्सा नहीं थे। वह स्टैंडबाय सूची में थे और केवल युवराज सिंह की उंगली में चोट के कारण उन्हें टीम में शामिल किया गया। कोहली ने आरसीबी पॉडकास्ट पर मयंती लैंगर के साथ बातचीत में उस पल को याद किया।
उन्होंने कहा कि मैंने अपनी पहली सीरीज श्रीलंका में खेली थी, लेकिन फिर मुझे कुछ समय के लिए टीम से बाहर होना पड़ा क्योंकि मैं सचिन पाजी की जगह आया था, जो चोटिल थे। उनके वापस आने के बाद मेरे लिए जगह नहीं थी। फिर 2009 में दक्षिण अफ्रीका में चैंपियंस ट्रॉफी आई। युवी पाजी को उंगली में चोट लगी थी, शायद फ्रैक्चर हुआ था, और मुझे बुलाया गया। मुझे हमेशा कहा जाता था कि सूटकेस तैयार रखो, कपड़े पैक रखो और पासपोर्ट साथ रखो। मैं हमेशा स्टैंडबाय पर था। मैं उस समय बैंगलोर में था। मुझे तुरंत उड़ान भरने को कहा गया। मैं गया, और तीन दिन बाद मेरा पहला भारत-पाकिस्तान मैच था। मैंने शायद 16 रन बनाए थे। मैंने शाहिद अफरीदी को सेंचुरियन में सिक्स मारने की कोशिश की और कैच आउट हो गया। हम वो मैच हार गए। वह एक महत्वपूर्ण पल था, और मेरी धड़कनें पूरे समय तेज थीं।
करियर पर उठे सवाल
पाकिस्तान ने 302 रनों का लक्ष्य रखा था, जिसका पीछा करते हुए भारत 248 रनों पर 44.5 ओवर में सिमट गया। राहुल द्रविड़ ने गौतम गंभीर के साथ 90 रनों की साझेदारी की और फिर सुरेश रैना के साथ पारी को संभालने की कोशिश की, लेकिन रैना के आउट होने के बाद द्रविड़ को कोई सहारा नहीं मिला। कोहली का 16 रनों का योगदान और उस महत्वपूर्ण मैच में असफलता ने उन्हें गहरे आत्म-संदेह में डाल दिया।
कोहली ने उस रात की बेचैनी को याद करते हुए कहा कि मैं उस हार को और अपने प्रदर्शन को प्रोसेस नहीं कर पाया। सब कुछ चार दिन में हुआ था। मैं उस रात सुबह पांच बजे तक जागता रहा, छत को देखता रहा। मुझे लग रहा था, ‘बस, यही था।’ मुझे एक साल बाद बुलाया गया, और मैंने इसे बर्बाद कर दिया। मुझे नहीं पता कि मेरा करियर अब कैसे आगे बढ़ेगा।
वापसी का सफर
उस हार ने कोहली को झकझोरा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने खेल पर ध्यान दिया, अपनी कमियों को सुधारा और धीरे-धीरे आत्मविश्वास हासिल किया। उस एक पल ने उन्हें यह सिखाया कि क्रिकेट में उतार-चढ़ाव आते हैं और महत्वपूर्ण है कि आप अगले मौके पर खुद को कैसे तैयार करते हैं। आज कोहली का पाकिस्तान के खिलाफ रिकॉर्ड इस बात का सबूत है कि उन्होंने उस हार को अपनी ताकत में बदला।