दिल्ली के पूर्व विकेटकीपर-बल्लेबाज पुनीत बिष्ट ने बुधवार 2 अगस्त 2023 को अपने 17 साल लंबे करियर को अलविदा कह दिया। बता दें कि 37 साल के पुनीत बिष्ट वही खिलाड़ी हैं, जिनके साथ रणजी ट्रॉफी मैच में विराट कोहली ने पिता प्रेम कोहली की मृत्यु के बाद साझेदारी के दौरान शतक लगाया था। प्रेम कोहली की 2006 में जब मृत्यु हुई थी तब भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सिर्फ 17 साल के थे। प्रेम कोहली को आधी रात में ब्रेन हैमरेज हुआ था, लेकिन विराट ने अगले दिन कर्नाटक के खिलाफ पुनीत बिष्ट के साथ बल्लेबाजी करने उतरे थे।

पुनीत बिष्ट ने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में कुल 272 मैच खेले हैं। वह 2007-08 में रणजी चैंपियन रही दिल्ली टीम का हिस्सा थे। पुनीत बिष्ट जम्मू-कश्मीर और मेघालय के लिए भी खेले हैं। पुनीत बिष्ट ने 103 प्रथम श्रेणी मैचों में हिस्सा लिया और 62.71 के स्ट्राइक रेट और 38.74 के औसत से दस शतकों समेत 5231 रन बनाए। पुनीत बिष्ट ने लिस्ट ए में 103 मैचों में 38.98 के औसत और 100.48 की स्ट्राइक रेट के साथ 2924 रन बनाए। इसमें 6 शतक भी शामिल हैं।

पुनीत बिष्ट का फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 343 रन है सर्वोच्च स्कोर

पुनीत बिष्ट का सर्वोच्च प्रथम श्रेणी व्यक्तिगत स्कोर (343 रन) 2018-19 रणजी ट्रॉफी में सिक्किम के खिलाफ मेघालय के लिए आया था। पुनीत बिष्ट को 2021 में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी टूर्नामेंट में 51 गेंद में 146 रन की शानदार पारी के लिए भी जाना जाता है। पुनीत की पारी की धुआंधार पारी के दम पर मेघालय ने मिजोरम पर 130 रन की शानदार जीत हासिल की थी। पुनीत ने अपनी पारी के दौरान 6 चौके और 17 छक्के लगाए थे।

संन्यास लेने का यह सबसे अच्छा समय है: पुनीत बिष्ट

क्रिकट्रैकर की रिपोर्ट के अनुसार, पुनीत बिष्ट ने संन्यास पर बोलते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि प्रतिस्पर्धी क्रिकेट से संन्यास लेने का यह सबसे सही समय है। 37 साल के क्रिकेटर का मानना है कि एक खिलाड़ी के रूप में उनके पास हासिल करने के लिए कुछ नहीं बचा है। उनकी सबसे यादगार घटना रणजी ट्रॉफी जीतना थी।

पुनीत बिष्ट ने कहा, ‘मैंने सोचा कि प्रतिस्पर्धी क्रिकेट से संन्यास लेने का यह सबसे अच्छा समय है। यदि आप मुश्ताक अली टी20 को ध्यान में रखें तो मैंने प्रथम श्रेणी और लिस्ट ए दोनों प्रारूपों में 100 से अधिक मैच और लगभग 275 (272) प्रतिस्पर्धी मुकाबले खेले हैं। एक खिलाड़ी के रूप में हासिल करने के लिए और कुछ नहीं है।’

पुनीत बिष्ट ने कहा, ‘मेरा मानना है कि यह अलविदा कहने का सही समय है। सबसे यादगार पल रणजी ट्रॉफी जीतना रहेगा। मैं इस यात्रा का हिस्सा बनने के लिए बीसीसीआई, डीडीसीए, जेकेसीए और मेघालय सीए को धन्यवाद देना चाहता हूं।’