राहुल पांडे। डोमेस्टिक क्रिकेट में राजस्थान की 2012 में आखिरी बार सीनियर मेंस टाइटल जीती थी। टीम लगातार दूसरी बार चैंपियन बनी थी। दोनों बार टीम को चैपिंयन बनाने में अशोक मनेरिया का योगदान काफी अहम था। उदयपुर के इस खिलाड़ी को छोड़कर कोई भी बड़ा नाम इस टीम का हिस्सा नहीं था। वह न सिर्फ राजस्थान के कप्तान थे, बल्कि उन्होंने 2010 इंडिया अंडर-19 टीम का नेतृत्व भी किया था।
राजस्थान को शनिवार को विजय हजारे ट्रॉफी न जीत पाना काफी खला होगा। इसके कारण अशोक मनेरिया ही हैं, जिन्होंने हरियाणा को इतिहास रचने में मदद की। हरियाणा का यह 50 ओवर के क्रिकेट का पहला खिताब था। इससे ज्यादा चुभन की बात यह है कि बाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने फाइनल में 70 रन की पारी खेली। फाइनल के बाद जब उनसे पूछा गया कि इस घरेलू सीजन से पहले उन्होंने क्यों राजस्थान का साथ छोड़ा तो उन्होंने अपना दर्द बयां किया।
अशोक मनेरिया पर लगा बड़ा आरोप
अशोक मनेरिया के लिए पिछला साल आसान नहीं था। चोटिल होने पर राजस्थान क्रिकेट की ओर से उनपर बड़ा आरोप लगाया। इसके बारे में उन्होंने राजस्थान को चैंपियन बनाने के बाद बताया। उन्होंने कहा, ” पिछले साल मुझे हैमस्ट्रिंग की चोट लग गई थी। मुझे लगता है कि उन्हें (राजस्थान क्रिकेट) मेरा बेहतर ख्याल रखना चाहिए था। पर मुझे बोला गया कि तू जबरदस्ती घायल हो रहा है। मैं खुद पर भरोसा खो चुका था और उदास था, लेकिन हरियाणा क्रिकेट ने मेरा समर्थन किया और मुझे उनके लिए खेलने के लिए आमंत्रित किया।”
मनेरिया के अलावा रवि बिश्नोई ने छोड़ा राजस्थान का साथ
मनेरिया इस सीजन से पहले राजस्थान की टीम को छोड़ने वाले दो बड़े नामों में से एक थे। उनके अलावा रवि बिश्नोई भी गुजरात चले गए है। फाइनल में शनिवार को हरियाणा के 41 रन पर दो विकेट गिर जाने के बाद बल्लेबाजी करने आए मेनारिया ने अंकित कुमार (91 गेंद पर 88 रन) के साथ फाइनल की सबसे बड़ी साझेदारी की। दोनों ने 124 रन जोड़े। फिर निचले क्रम ने हरियाणा को 287 तक पहुंचाने में मदद की।