भारतीय क्रिकेट में इन दिनों वैभव सूर्यवंशी के नाम की चर्चा जोर-शोर से हो रही है। वो कुछ भी करते हैं खबरों में आ ही जाते हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह है कि वो जिस उम्र में ये कमाल कर रहे हैं वो अपने-आप में बेमिसाल है। वैभव अभी सिर्फ 14 साल के हैं, लेकिन वो जिस तरह का कमाल कर रहे हैं वो बड़े-बड़े धुरंधर नहीं कर पाते हैं।
वैभव आईपीएल हो या फिर यूथ वनडे या टेस्ट सीरीज हर जगह कमाल का खेल दिखा रहे हैं। इस साल पहले इंग्लैंड दौरे और फिर ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने यूथ वनडे सीरीज हो या फिर यूथ टेस्ट सीरीज अच्छा खेल दिखाया, लेकिन उनकी एक बड़ी कमजोरी भी सामने आई।
रेड बॉल प्रारूप में वैभव को धैर्य से करनी होगी बैटिंग
वैभव सीमित प्रारूप में गजब की बैटिंग करते हैं और वो इसे बार-बार साबित भी कर चुके हैं, लेकिन जब बात रेड बॉल क्रिकेट की आती है तो इसमें वो फीके से नजर आते हैं। इस रणजी सीजन से ठीक पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यूथ टेस्ट सीरीज के दौरान उन्होंने एक शतक लगाया था, लेकिन रन बनाने में निरंतर नहीं रहे थे और एक बार फिर से इस रणजी सीजन के पहले मैच में भी वो फेल रहे।
वैभव की सबसे बड़ी कमजोरी ये है कि वो टेस्ट, वनडे या फिर टी20 हर प्रारूप में एक ही इंटेट के साथ बैटिंग करते हैं जो कहीं से भी सही नहीं है। जब आप रेड बॉल क्रिकेट खेलते हैं तो आपको गेयर बदलने की जरूरत होती है और अपनी आक्रामकता पर कंट्रोल करते हुए खेलना होता है, लेकिन वैभव में इसकी कमी साफ तौर पर दिखती है जिसकी वजह से वो बेहतरीन शुरुआत के बाद भी बड़ा स्कोर नहीं कर पाते।
इस रणजी सीजन के पहले मैच में अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ उन्होंने 5 गेंदों पर एक छक्का और 2 चौकों के साथ 14 रन की पारी 280.00 की स्ट्राइक रेट से खेली और आउट हो गए। यहां पर अगर वो धैर्य दिखाते और टिककर खेलने की कोशिश करते तो बड़ा स्कोर कर सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। वैभव अगर रेड बॉल प्रारूप में ऐसा ही करते रहे तो वो सीमित ओवर के प्रारूप के खिलाड़ी ही बनकर रह जाएंगे और शायद ही भारत के लिए कभी टेस्ट खेल पाएंगे। उन्हें अगर भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलना है तो उन्हें अपने रवैये में बदलाव तो करना ही होगा।