टोक्यो ओलंपिक में गुरुवार को जर्मनी को 5-4 से हरा भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलंपिक में कांस्य पदक जीता। कांस्य पदक के प्ले आफ में जर्मनी को 5-4 से हराने के बाद भारतीय कप्तान मनप्रीत के पास अपनी भावनाओं को जाहिर करने के लिए शब्द नहीं थे। मनप्रीत के अलावा इस जीत के कई नायक रहे। रूपिंदरपाल सिंह, हरमनप्रीत सिंह, मदीप सिंह, सिमरनजीत सिंह से लेकर अमित रोहिदास तक सभी ने बेहतरीन खेल दिखाया।

ड्रैग फ्लिकर रुपिंदर पाल सिंह ने टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई है। रुपिंदर पाल सिंह मूल रूप से पंजाब के फरीदकोट के बाबा फरीद एवेन्यू के रहने वाले हैं। रुपिंदर के पिता हरिंदर सिंह फरीदकोट के सरकारी बृजेंद्रा कॉलेज के पास स्पोर्ट्स गुड्स की दुकान चलाते थे। वह भी स्कूल व कालेज के समय में हॉकी खेलते थे। रुपिंदर की फिरोजपुर के प्रसिद्ध हॉकी ओलंपियन परिवार के सदस्य हरमीत सिंह, अजीत सिंह व गगन अजीत सिंह के साथ भी रिश्तेदारी है।

रूपिंदरपाल सिंह –
रुपिंदर ने अपने हॉकी कॅरियर की शुरुआत मई 2010 में सुल्तान अजलान शाह कप के दौरान की थी। जहां भारतीय टीम स्वर्ण जीतने में कामयाब रही थी। इस टूर्नामेंट में रुपिंदर ने ब्रिटेन के खिलाफ अपनी पहली हैट्रिक लगाई थी। यह हैट्रिक आगे चलकर रुपिंदर के कॅरियर को आगे बढ़ाने में काफी सहायक साबित हुई। पाकिस्तान के खिलाफ यादगार गोल लगाने के बाद रुपिंदर को हॉकी इंडिया लीग 2013 के लिए बॉलीवुड अभिनेता जॉन अब्राहम की टीम दिल्ली वेवराइडर्स ने लगभग 36 लाख 17 हजार रुपये में खरीदा था। रुपिंदर ने टीम के लिए बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 8 गोल किए थे, जिसके दम पर टीम लीग में दूसरे स्थान पर रही थी।

रुपिंदर ने 2014 में ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया और भारत को रजत पदक दिलाया। 2014 में ही रुपिंदर स्वर्ण पदक विजेता भारतीय टीम का हिस्सा थे। 2016 एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में स्वर्ण जीतने वाली भारतीय टीम में भी रुपिंदर शामिल थे। इसमें रुपिंदर 11 गोल के साथ टॉप स्कोरर रहे और टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार जीता।

रुपिंदर 2016 में रियो ओलंपिक में भारत के टॉप स्कोरर रहे। रुपिंदर ने टीम को 2017 सुल्तान अजलान शाह कप और हॉकी वर्ल्ड लीग में कांस्य जिताया। रुपिंदर ने 2018 में जकार्ता एशियाई खेलों में भी भाग लिया, यहां भारत ने कांस्य पदक जीता।

हरमनप्रीत सिंह –
भारतीय टीम के उपकप्तान पंजाब के अमृतसर जिला के कस्बा जंडियाला गुरु के छोटे से गांव तीमोवाल के रहने वाले हैं। डिफेंडर और ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत ने इस ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन किया। भारतीय टीम के पैनल्टी स्पेसिलेस्ट माने जाने वाले हरमनप्रीत ने अपने करियर की शुरुआत बतौर फारवर्ड खिलाड़ी के रूप में की थी। उन्होंने वर्ष 2014 में मलेशिया में हुए सुल्तान जौहर कप में नौ पैनल्टी कॉर्नर को गोल में बदला था। 2015 में जूनियर एशिया कप और 2016 में जूनियर विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा बने और टीम को खिताब दिलाने में योगदान दिया। वे 2016-17 में हॉकी वर्ल्ड लीग में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे।

2016 में रियो ओलंपिक में भारतीय टीम का भी हिस्सा रहे। 2016 और 2018 में चैंपियंस ट्रॉफी में भी भारत को रजत पदक दिलाया। वहीं, 2017 में एशिया कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम इंडिया का भी हिस्सा रहे। 2018 में जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में टीम को कांस्य पदक दिलाने में हरमनप्रीत ने अहम योगदान निभाया।

मनप्रीत सिंह –
भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। मनप्रीत सिंह को 2017 में भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया था, जिसके बाद से टीम ने नई बुलंदियों को छुआ है। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम एशिया कप और एशियन चैम्पियंस ट्रॉफी में गोल्ड, चैम्पियंस ट्रॉफी में सिल्वर और 2018 एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीत चुकी है। 2019 में अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ ने मनप्रीत को ‘प्लेयर ऑफ द ईयर’ घोषित किया था।

भारतीय कप्तान हाफ बैक पॉजिशन पर खेलते हैं। उन्हें हॉकी खेलने की प्रेरणा पूर्व कप्तान परगट सिंह से मिली, जो मनप्रीत के पैतृक गांव मीठापुर के रहने वाले हैं। 2011 में मनप्रीत को भारतीय जूनियर टीम के लिए पदार्पण का मौका मिला। 2013 में वे कप्तान बन गए और उनकी कप्तानी में भारतीय जूनियर टीम ने पहली बार सुलतान जोहोर कप का खिताब अपने नाम किया। 2016 के कॉमनवेल्थ गेम्स और चैम्पियंस ट्रॉफीमें भारतीय टीम रजत पदक जीतने में सफल रही थी। टीम की इन सफलताओं में मनप्रीत सिंह ने अहम रोल अदा किया था।

हार्दिक सिंह –
स्टार मिडफील्डर हार्दिक सिंह का प्रदर्शन शानदार रहा। जर्मनी के खिलाफ हार्दिक सिंह के 27वें मिनट पर किए गए गोल के बाद ही भारत ने वापसी की थी। हार्दिक सिंह ने भारत के लिए खेलने का सपना लगभग छोड़ ही दिया था और डच लीग में क्लब करियर बनाने की योजना बना रहे थे लेकिन उनके रिश्तेदार पूर्व ड्रैग फ्लिकर जुगराज सिंह ने उन्हें प्रेरित किया। पंजाब के जालंधर के समीप खुसरोपुर गांव के रहने वाले 22 साल के हार्दिक ने कहा कि उनका सफर टीम के अपने साथियों से अलग रहा है।

टोक्यो गई भारतीय टीम में जालंधर के चार खिलाड़ी कप्तान मनप्रीत सिंह, मनदीप सिंह, हार्दिक सिंह और वरुण कुमार शामिल हैं। हार्दिक सिंह भारतीय जूनियर हॉकी टीम के उप कप्तान रह चुके हैं। वे 2018 में एशियाई पुरुष हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी और साल 2018 में पुरुष हॉकी विश्वकप में भी भारतीय टीम का हिस्सा रहे हैं।