आखिरकार ढाई साल बाद एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (Athletics Federation of India) की मुराद पूरी हो गई है। इसके लिए चीन को बहुत-बहुत धन्यवाद। दुनिया भर के कई देशों के हाथ खड़े करने के बाद एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) पिछले सप्ताह क्रॉफ्ट ट्रेनिंग गेराट (Kraft Training Gerat) का आयात करने में सफल रहा। इसकी मदद से भारतीय जैवलिन थ्रोवर टोक्यो ओलंपिक में पदक जीत इतिहास रच सकते हैं।

जैवलिन थ्रो में जर्मनी के एथलीट्स का वर्चस्व है। क्रॉफ्ट ट्रेनिंग गेराट (KTG) विशेष स्ट्रेंथ ट्रेनिंग उपकरण है। इसके बारे में माना जाता है कि जैवलिन थ्रो में जर्मनी के वर्चस्व के पीछे इस उपकरण की एक बड़ी भूमिका। हाल ही में, जर्मनी के जोहांस वेटर को कई बार 90 मीटर से ज्यादा दूर थ्रो करने में मदद की। जोहांस वेटर टोक्यो ओलंपिक में जैवलिन थ्रो स्पर्धा में स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदारों में से एक हैं। दरअसल, भारतीय जैवलिन टीम के कोच उवे हॉन (Uwe Hohn) और बायोमैकेनिक्स विशेषज्ञ डॉ. क्लॉस बार्टोनिएट्स (Dr Klaus Bartonie) ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले नीरज चोपड़ा और शिवपाल सिंह को जर्मनी के जोहांस वेटर की तरह यह सुविधा दिलाने के लिए बहुत प्रयासरत थे।

कोच उवे हॉन मूल रूप से जर्मनी के ही रहने वाले हैं। वह कैनबरा में 1985 में हुए जैवलिन वर्ल्ड कप और एथेंस में 1982 में हुई यूरोपियन चैंपियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता हैं। वह चीन के नेशनल चैंपियन झाओ किंगगांग (Zhao Qinggang) के भी कोच रह चुके हैं। उवे हॉन 100 मीटर से ज्यादा जैवलिन थ्रो करने वाले दुनिया के इकलौते खिलाड़ी हैं। वह 1980 के शुरुआती दशक में केटीजी की मदद से अभ्यास करते थे।

हालांकि, एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की इस मशीन को आयात करने की उम्मीदों पर तब पानी फिर गया था, जब जर्मनी में केटीजी का निर्माण करने वाली ऑलमैन्सवीयर स्थित कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इस उपकरण को भेजने से इंकार कर दिया था। एएफआई के मुख्य राष्ट्रीय कोच राधाकृष्णन नायर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘उन्होंने हमें सूचित किया कि वे इसका व्यावसायिक रूप से उत्पादन नहीं कर रहे हैं, इसलिए हमें इसकी आपूर्ति करने में असमर्थ हैं। जर्मन कंपनी इस मशीन का उत्पादन केवल अपने एथलीट्स के लिए करती है।’

इसके बाद एएफआई ने 2019 में इसके अन्य निर्माता का पता लगाने के लिए दुनिया भर में खोज शुरू की। अंत में, चीन के एथलेटिक्स महासंघ के आह्वान के परिणामस्वरूप उसे सफलता मिली। कई फोन कॉल और ई-मेल्स के बाद चीन के शेडोंग प्रांत की राजधानी जिनान स्थित टीएच स्पोर्ट्स भारतीयों की मदद करने के लिए सहमत (केटीजी के अपने संस्करण का निर्यात करने के लिए) हो गया। हालांकि, कोरोनावायरस महामारी के चलते पटियाला में राष्ट्रीय खेल संस्थान में इसे लगाने में थोड़ी देरी हुई।

नायर ने कहा, ‘हम दिसंबर 2018 से इस पर नजर रख रहे थे। हमें आखिरकार (एक निर्माता) मिल गया, लेकिन फिर चीन में तालाबंदी हो गई और जिस क्षेत्र में इसका निर्माण होता है वह एक कंटेनमेंट जोन बन गया। इसलिए वे इसे बंदरगाह तक नहीं ले जा पाए। अंत में, उन्होंने इसे फरवरी 2021 के आसपास भेज दिया।’