सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) पर कठोर टिप्पणी की। शीर्ष कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि श्रीनिवासन को सिर्फ इस आधार पर संदेह का लाभ नहीं दिया जा सकता कि आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग की जांच के लिए गठित मुद्गल समिति कि रिपोर्ट में उनका नाम नहीं है।

मुद्गल समिति रिपोर्ट की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से कहा कि क्या आप क्रिकेट को खत्म होते देखना चाहते हैं। हालांकि बीसीसीआई ने तर्क पेश करते हुए कहा कि मुद्गल समिति की रिपोर्ट में श्रीनिवासन के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहज़े का इस्तेमाल करते हुए कहा कि क्रिकेट भद्र जनों का खेल है और हमारे मुल्क में इसे एक धर्म की तरह माना जाता है जिससे करोड़ों लोगों की बावनाएं जुड़ी हुईं हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से यह भी पूछा कि जब श्रीनिवासन बीसीसीआई के अध्यक्ष थे तो वे आईपीएल की फ्रेंचाइजी टीम के मालिक कैसे हो सकते हैं। इस गतिरोध पर भी कोर्ट ने बोर्ड को फटकार लगाई।
सुनवाई के दौरान उच्चतन न्यायालय की टिप्पणी:

आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण पर न्यायालय ने बीसीसीआई से कहा: यदि आप ये सब होने देंगे तो फिर आप क्रिकेट के खेल को खत्म कर रहे हैं।

आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण पर न्यायालय ने बीसीसीआई से कहा: यदि आप ये सब होने देंगे तो फिर आप क्रिकेट के खेल को खत्म कर रहे हैं।

न्यायालय ने बीसीसीआई से कहा: किसी व्यक्ति विशेष की बजाय खेल को संदेह का लाभ मिलना चाहिए।

न्यायालय ने श्रीनिवासन से कहा: आपको बीसीसीआई के मुखिया और आईपीएल टीम, जिसके अधिकारी सट्टेबाजी में लिप्त पाये गये, के मालिक के रूप में हितों के टकराव से जुड़े सवालों पर गौर करना होगा।

बीसीसीआई ने न्यायालय से कहा: हम न्यायमूर्ति मुद्गल समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षो को सही मानते हैं।