रवि शास्त्री 1985 में पहली बार किसी बड़े टूर्नामेंट में प्लेयर ऑफ द सीरीज चुने गए थे। उन्हें इनाम के तौर पर ऑडी कार मिली थी। हालांकि, रवि शास्त्री को उस कार को स्टार्ट करना ही नहीं आता था, क्योंकि वह उस जमाने में ऑटोमेटिक कार थी और शास्त्री ने उससे पहले कभी कोई ऑटोमेटिक कार नहीं चलाई थी। फाइनल जीतने के बाद तत्कालीन टीम इंडिया ने उस कार के अंदर और ऊपर बैठकर ही मैदान का चक्कर लगाया था। चूंकि शास्त्री को वह कार चलानी नहीं आती थी, इसलिए सुनील गावस्कर ने उनकी मदद की थी।

यह बात लिटिल मास्टर के नाम से मशहूर सुनील गावस्कर ने गौरव कपूर के यूट्यूब चैनल पर ओकट्री के शो ब्रेकफॉस्ट विद चैंपियंस में किया था। शो की शुरुआत में सुनील गावस्कर ने बताया कि उनके जमाने खिलाड़ी डाइट को लेकर चौकन्ना नहीं थे। फिटनेस पर भी बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था। सुनील गावस्कर ने बताया, ‘वॉर्म-अप के नाम पर हम ड्रेसिंग रूम में एक कप चाय की प्याली से करते थे। वह हम लोगों का वॉर्म-अप होता था। उसके बाद बाहर जाकर कुछ लोग बल्ले से गेंद को मारते थे, कुछ उन्हें पकड़ने की प्रैक्टिस करते थे। पांच-10 कैच पकड़ने के बाद हम फिर खड़े हो जाते थे।’

गावस्कर ने कहा, ‘उस समय के कुछ गेंदबाज अपने शरीर को सीधा करके अपना वॉर्म-अप कर लिया करते थे। उसके बाद वे भी 5-6 कैच पकड़ने के बाद निकल लिया करते थे। कोई स्पेशलाइज्ड स्लिप कैचिंग की भी कोई प्रैक्टिस नहीं होती थी।’ इस पर गौरव ने पूछा, ‘आप फिर स्लिप के इतने अच्छे फील्डर कैसे बन गए।’ गावस्कर ने हंसते हुए कहा, ‘नेचुरल टैलेंट।’

गौरव ने गावस्कर से पूछा, ‘खेलने के दौरान आपके समय की सबसे बड़ी जीत या यादगार क्या है?’ इस गावस्कर ने कहा, ‘वर्ल्ड कप सबसे बड़ी जीत है। वह अतुलनीय क्षण था। मैं अब भी उसे नहीं भूला हूं। मैं पुराने वीडियो नहीं देखता, लेकिन 1983 वर्ल्ड कप के वीडियो मैं अब भी देखता हूं। वर्ल्ड कप के फाइनल का वीडियो तो मैं बार-बार देखता रहूंगा।’

इसके बाद गौरव ने बताया, ‘मेरे क्रिकेट देखने का करियर 1985 में बेनसन एंड हेजेज वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ क्रिकेट से शुरू हुआ था।’ गौरव ने उन्हें मैदान पर ऑडी घुमाने और एक दूसरे के ऊपर शैम्पेन फेंकने की घटना याद दिलाई। इस पर सुनील गावस्कर ने कहा, ‘वह वंडरफुल मूवमेंट था। बहुत फनी भी था। मुझे पता नहीं कि रवि यह मानेगा या नहीं, लेकिन तब तक रवि ने कोई भी ऑटोमेटिक कार नहीं चलाई थी।’

गावस्कर ने बताया, ‘वह कार में बैठा। उसके बाद वह कार को गियर में डालने के लिए संघर्ष कर रहा था। सौभाग्य से मुझे पता था, क्योंकि मैंने इंग्लैंड में खेला था और वहां मैं ऑटोमेटिक कार चला चुका था। मैंने उसे तब इंग्लैंड में ही चलाया था। इसलिए मैंने बताया कि कार ऐसे स्टार्ट होगी, तब जाकर कार आगे बढ़ी। हालांकि, हमें कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, क्योंकि हर कोई बोनट पर बैठा हुआ था।’