दुनिया की सबसे तेज गेंद फेंकने का रिकॉर्ड अपने नाम रखने वाले शोएब अख्तर को क्रिकेट से अलविदा कहे हुए 9 साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन उनकी फैन फॉलोइंग में कमी नहीं आई है, बल्कि यह बढ़ी ही है। शोएब अख्तर की भारत में भी काफी फैन फॉलोइंग हैं। हालांकि, यह बात शायद ही किसी को मालूम हो अपने अंदर क्रिकेट बची होने के बावजूद उन्होंने इस खेल से संन्यास क्यों लिया था। अख्तर ने अपनी मां के कहने पर क्रिकेट को अलविदा कहा था। यह शोएब ने पाकिस्तान की मशहूर न्यूज एंकर सना बूचा के शो में कही थी।

शो के दौरान शोएब ने सना से बताया कि वह पैदा होते ही स्टार थे वह भी एटीट्यूट के साथ। हालांकि, उन्होंने एटीट्यूट का मतलब स्पष्ट करते हुए कहा, ‘बदतमीजी नहीं। आज तक मैंने अपने से बड़ों से बदतमीजी नहीं की। एटीट्यूट का मतलब है कि कोई चीज मैंने देख ली है। उसके पीछे मुझे भागना है। फिर मेरे आसपास के लोग जो मरजी आए कहते रहें, लेकिन मैं नहीं रुकने वाला।’ इस पर सना ने पूछा, ‘यह कनविक्सन कब आई?’ शोएब ने कहा, ‘मेरी मां कहती है कि जब तू बचपन में सोता था तो तेरा माथा चमकता था, इसलिए मुझे हमेशा से लगता था कि तू बड़ा असाधारण बच्चा है।’

शोएब ने बताया, ‘मेरे से पहले एक भाई था। उसका नाम शोएब था। उनका देहांत हो गया। फिर मैं पैदा हुआ। मेरी मां ने मुझे बताया कि तू पैदा होने के बाद रोया भी नहीं था, जैस आमतौर पर सभी बच्चे रोते हैं।’ शोएब ने बताया, ‘तेज भागना का शौक मुझे बचपन से ही था। 23 मार्च को परेड हुआ करती थी, जहाजों की। मैंने जहाज बनना। पहाड़ी पर खड़े हो जाना। नए-नए एफ-16 आए थे। एफ-16 मेरे दिल का जहाज था। तो मैंने कहा कि मुझे एफ-16 बनना है। तो मैं दोनों हाथ खोलकर जो भागता था ना, तो मैं उस समय एफ-16 बना होता था।’

सना ने पूछा, ‘तो वह जहाज कहां खड़ा है अभी?’ इस पर शोएब ने कहा, ‘इधर ही है। अंदर ही है।’ सना ने पूछा, ‘बहुत जल्दी नहीं खत्म हो गया सफर?’ शोएब ने कहा, ‘मेरी मां बेचारी बड़ी बीमार हो गई थी। मेरी मां हमेशा कहती थी कि लोग तुम्हें समझ नहीं पाएंगे। मुझे ये पता है कि तू दिल का बड़ा साफ आदमी है। लोग तुम्हें हमेशा गलत समझेंगे। तुम्हारी छवि अजीब सी बनती रहेगी। लोग तुम्हें समझ नहीं पाएंगे। तो मेरा ख्याल है अब तू बस कर।’

शोएब ने बताया, ‘मेरे अंदर चार साल की क्रिकेट थी। मैं उस समय 150 से ज्यादा की रफ्तार से गेंदबाजी कर रहा था। लेकिन मेरी मां ने कहा कि अब छोड़ दे और आ जा घर। यकीन जानो मेरी मां ने कहा, मैंने रिटायरमेंट ली और घर आ गया। मैं घर आकर दो साल ऐसे ही बैठा रहा। ऐसे ऊपर देखते रहता था। सोचता था कि अब क्या करूं? किधर जाऊं? लेकिन मैं अपनी मां की बात को नहीं टालता। मैं अपनी मां की बहुत खिदमत करता हूं।’