खेल मंत्रालय ने वर्तमान में निलंबित भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष संजय सिंह के खिलाफ मंगलवार को कानूनी कार्रवाई करने की बात कही। मंत्रालय ने कहा कि अगर संजय सिंह या कोई अन्य सदस्य निलंबित डब्ल्यूएफआई के स्टेटस को लेकर निराधार दावे करना जारी रखता है तो वह यह कदम उठाएंगे।

द इंडियन एक्सप्रेस में मंगलवार को प्रकाशित एक इंटरव्यू में संजय सिंह ने दावा किया कि उन्हें विश्वास है कि सरकार महासंघ के निलंबन को रद्द कर देगी और वह 10 दिनों के भीतर अध्यक्ष के रूप में वापस आ जाएंगे। संजय सिंह, पुणे में एक सीनियर नेशनल कंप्टीशन के मौके पर बोल रहे थे, जो खेल मंत्रालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए आयोजित की गई थी। उन्होंने यह भी कहा, “ओलंपिक के लिए जाने वाले रेसलर्स पुणे नेशनल्स से ही होंगे।”

खेल मंत्रालय के आधिकारिक नोटिस में कहा गया है कि निलंबित महासंघ द्वारा आयोजित किसी भी कंप्टीशन को “अस्वीकृत/गैर-मान्यता प्राप्त” माना जाएगा। भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) द्वारा नियुक्त तदर्थ समिति के पास राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त टूर्नामेंट आयोजित करने की शक्ति है। तदर्थ पैनल ने 2-5 फरवरी तक जयपुर में नेशनल्स आयोजित कराने का निर्णय लिया है।

खेल मंत्रालय ने क्या कहा

नोटिस में कहा गया, ” 30.01.24 को प्रकाशित एक राष्ट्रीय समाचार पत्र को दिए गए आपके इंटरव्यू के आधार पर कुछ निराधार बयान सामने आए हैं, जो एथलीट और कुश्ती से संबंधित अन्य लोगों के बीच भ्रम और चिंता की स्थिति पैदा कर रहे हैं। कृपया ध्यान रखें कि निर्देश पालन करने में विफलता मंत्रालय को आगे की कानूनी कार्रवाई पर विचार करने के लिए मजबूर कर सकती है। इसमें गलत सूचना और निराधार दावे फैलाने के लिए कानूनी कार्यवाही और देश के कानून के अनुसार अन्य कदम उठाए जा सकते हैं।”

पुणे नेशनल्स नें बांटे गए फर्जी सर्टिफिकेट : साक्षी मलिक

इस बीच ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने निलंबित भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष संजय सिंह पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पुणे में नेशनल चैंपियनशिप में पहलवानों को फर्जी प्रमाणपत्र दिए गए हैं। साक्षी ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की, जिसमें एक पहलवान को एक विशेष वेट कटेगरी सिल्वर मेडल जीतने पर प्रमाणपत्र दिया गया था। प्रमाणपत्र में पहलवान के जन्म का वर्ष 2023 था।

दिसंबर में चुनाव के कुछ ही दिन बाद निलंबित हो गई थी नवनिर्वाचित डब्ल्यूएफआई

संजय सिंह, भाजपा सांसद और पूर्व डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के वफादार हैं। इनके खिलाफ देश के कुछ शीर्ष पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर महीनों तक विरोध प्रदर्शन किया था। उन्हें महासंघ के प्रमुख के तौर पर चुना गया था। संजय सिंह सहित कई नए पदाधिकारियो नें कहा था कि बृजभूषण उनके “भाई” की तरह थे। उन्होंने खुले तौर पर दावा किया है कि वे पूर्व अध्यक्ष के वफादार हैं।

कुछ ही दिन बाद हो गया निलंबन

हालांकि, नव-निर्वाचित सदस्यों के बागडोर संभालने के कुछ ही दिनों के भीतर खेल मंत्रालय ने संघ को यह कहते हुए निलंबित कर दिया कि उसने राष्ट्रीय खेल संहिता और डब्ल्यूएफआई के संविधान का उल्लंघन किया है, जब उन्होंने उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में अंडर -15 और अंडर -20 राष्ट्रीय टूर्नामेंट की घोषणा की थी। पहलवानों को पर्याप्त नोटिस दिए बिना और डब्ल्यूएफआई के महासचिव को कार्यकारी समिति की अनुपस्थिति में बैठक का आयोजन हुआ था। मंत्रालय ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि नवनिर्वाचित संघ पर पूर्व पदाधिकारियों का पूर्ण नियंत्रण है और महासंघ का कामकाज अभी भी निवर्तमान अध्यक्ष के आवास से संचालित किया जा रहा है। डब्ल्यूएफआई कार्यालय तब से बृज भूषण के आवास से बाहर चला गया है।