भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने 1996 में टेस्ट करियर की शुरुआत की थी। इससे 4 साल पहले वे वनडे में डेब्यू कर चुके थे। हालांकि, सीमित ओवर क्रिकेट में उनका डेब्यू खास नहीं रहा था। ऑस्ट्रेलिया में खेले गए अपने पहले मैच में वे सिर्फ तीन रन बनाकर आउट हो गए थे। इसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। उन्हें वर्ल्ड कप टीम में भी शामिल नहीं किया गया था। ब्रिस्बेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए डेब्यू मैच के बाद वे फिर मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे में उतरे थे।

गांगुली को ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज में टीम में शामिल किया गया था। लेकिन, उन्हें प्लेइंग-11 में शामिल नहीं किया गया था। वरिष्ठ पत्रकार रेहान फजल ने गांगुली के पहले ऑस्ट्रेलिया दौरे के बारे में विस्तार से बताया था। उन्होंने बीबीसी न्यूज हिंदी के शो ‘खेल के किस्से’ में मैच के बारे में रोचक बातें बताई थीं। रेहान फजल बताते हैं, ‘‘सौरव 19 साल के थे तब उन्हें पहली बार इंडियन टीम में चुना गया था। ईडन गार्डन्स में मैच हो रहा था दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ। गांगुली को खेलने का मौका नहीं मिला। वे बस ड्रिंक्स लेकर गए। टीम के 12वें खिलाड़ी थे।’’

रेहान फजल ने आगे सुनाया था, ‘‘इसके बाद 1992 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने वाली टीम में उनका चयन हुआ। कुल मिलाकर गांगुली के लिए वह दौरा भी ठीक नहीं रहा था। उन्हें नेट प्रैक्टिस भी नहीं मिली। पूरे तीन महीने तक वो ऑस्ट्रेलिया में रहे और नेट प्रैक्टिस का भी मौका नहीं मिला। जब आखिर में उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ खिलाया गया तो उन्होंने स्पिनर वेंकटपति राजू से कहा कि मुझे एक-दो गेंदों पर अभ्यास कराइए।’’

फजल ने आगे कहा था, ‘‘वेस्टइंडीज के खिलाफ मुकाबला था। मैल्कम मॉर्शल दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज थे। मार्शल की गेंद पर एक बार एलबीडब्ल्यू की अपील को अंपायर ने नकार दिया था। एंडरनस कमिंस की गेंद पर वे एलबीडब्ल्यू हो गए थे। सिर्फ तीन रन ही बना सके। इसके बाद उन्हें विश्व कप 1992 की टीम में नहीं चुना गया। चार खिलाड़ी दौरे से वापस आए थे। उनमें दिलीप वेंगसरकर, सैयद किरवानी, चंद्रकांत पंडित और सौरव गांगुली। वह गांगुली के लिए भूलने वाला दौरा था।’’