स्टार क्रिकेटर स्मृति मंधाना को भारत के लिए खेलते हुए 12 साल हो गए हैं। इस दौरान उन्हें महसूस हुआ है कि उन्हें दुनिया में क्रिकेट से ज्यादा कोई भी पसंद नहीं है। भारत की बाएं हाथ की दिग्गज बल्लेबाज मंधाना ने बुधवार (10 दिसंबर) को 2013 में अपने पदार्पण से लेकर पिछले महीने टीम की विश्व कप में जीत में अहम भूमिका निभाने तक की अपनी यात्रा पर बात की। मंधाना ने संगीतकार पलाश मुच्छल से शादी तोड़ने के बाद पहली बार किसी कार्यक्रम में शिरकत की।

भारतीय जर्सी सबसे बड़ी प्रेरणा

स्मृति मंधाना ने अपने जुनून के बारे में बात करते हुए को ‘एमेजॉन संभव सम्मेलन’ में कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि क्रिकेट से ज्यादा मैं किसी से प्यार करती हूं। भारतीय जर्सी पहनना ही हमारी सबसे बड़ी प्रेरणा है। आप अपनी सारी परेशानियां एक तरफ रख देते हैं और सिर्फ यही आपको जीवन पर ध्यान लगाने में मदद करता है।’’

बचपन से ही बल्लेबाजी का पागलपन

मंधाना ने कहा कि अपने सपने को लेकर हमेशा से स्पष्टता थी। उन्होंने कहा, ‘‘बचपन से ही बल्लेबाजी का पागलपन था। कोई समझ नहीं पाता था, लेकिन मेरे दिमाग में हमेशा था कि मुझे विश्व चैंपियन कहलाना है। ’’ मंधाना ने कहा कि यह ट्रॉफी टीम के लंबे संघर्ष का फल है। यह विश्व कप उन संघर्षों का फल था जिनसे हम वर्षों से जूझते आए हैं। हम इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।”

रोंगटे खड़े हो गए

मंधाना ने कहा, “मैं 12 साल से ज्यादा समय से खेल रही हूं। कई बार चीजें हमारे मुताबिक नहीं होती। हमने फाइनल से पहले इसके बारे सोचा था और जब स्क्रीन पर इसे सच होते देखा तो रोंगटे खड़े हो गए। यह अविश्वसनीय और बहुत खास पल था। ’’ मंधाना ने बताया कि फाइनल में मिताली राज और झूलन गोस्वामी की मौजूदगी ने भावनाओं का स्तर बढ़ा दिया था।

मिताली राज और झूलन गोस्वामी के लिए जीतना चाहते थे

मंधाना ने कहा, ‘‘हम सच में उनके लिए यह जीत दर्ज करना चाहते थे। उनकी आंखों में आंसू देखकर लगा कि पूरा महिला क्रिकेट जीत रहा है। यह लड़ाई उनकी भी जीत थी। ’’ मंधाना ने कहा कि इस विश्व कप ने दो अहम सबक और मजबूत किए। उन्होंने कहा, ‘‘हर पारी शून्य से शुरू होती है, चाहे पिछली पारी में आपने शतक ही क्यों न बनाया हो। और कभी अपने लिए मत खेलो, हम यही बात एक-दूसरे को याद दिलाते रहे।’’

पीटीआई इनपुट से खबर