हरियाणा के मुक्केबाज (Boxer) आकाश कुमार ने मंगलवार दोपहर बेल्लारी में राष्ट्रीय खिताब जीतकर अगले महीने सर्बिया के बेलग्रेड में होने वाली विश्व चैंपियनशिप में जगह बनाई। नेशनल चैंपियन बनने के बाद वह 6 घंटे की बस की यात्रा कर बेल्लारी से बंगलौर आए। वहां से उन्होंने बुधवार सुबह दिल्ली के लिए फ्लाइट पकड़ी।
दिल्ली पहुंचकर वह बहादुरगढ़ के लिए मेट्रो पर सवार हुए। मेट्रो से उतर उन्होंने भिवानी स्थित अपने गांव पालुवास के लिए कैब ली। इस दौरान 20 साल के आकाश कुमार बस यही सोच रहे थे कि यह स्वर्ण पदक वह अपनी मां के चरणों में रखेंगे। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। आकाश को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि टूर्नामेंट शुरू होने से एक दिन पहले यानी 14 सितंबर 2021 को ही उनकी मां का निधन हो गया था।
आकाश ने बुधवार यानी 22 सितंबर को इंडियन एक्सप्रेस को अपनी मां संतोष के बारे में बताया, ‘कल शाम, मैं समारोह में पदक दिखा रहा था। मैं जश्न मना रहा था, उम्मीद कर रहा था कि पदक देखने के बाद वह बहुत खुश होंगी।’ संतोष को इस महीने की शुरुआत में वायरल बुखार हुआ। उसके बाद उनके फेफड़ों में संक्रमण फैल गया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
आकाश ने कहा, ‘मैं आज दोपहर करीब 2 बजे घर पहुंचा और सभी रिश्तेदार वहां मौजूद थे। कोई कुछ नहीं बोला। उन्होंने मुझे सिर्फ मेरी मां की फोटो दिखाई। मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूं। पिछली बार जब हमने बात की थी, तो उन्होंने मुझसे वादा लिया था कि मैं स्वर्ण पदक के साथ घर लौटूंगा।’
यह उनकी मां का आशीर्वाद ही था कि राष्ट्रीय चैंपियनशिप के 54 किग्रा भार वर्ग में सर्विसेज के इस बॉक्सर ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को रिंग में धूल चटाई। हालांकि, जैसे-जैसे आकाश स्वर्ण पदक की ओर कदम बढ़ा रहे थे कि उनके चाचा भवर सिंह और कोच नरेंद्र राणा उनकी मां की मौत की खबर छिपाकर भावनाओं से जूझ रहे थे।
शायद यही वजह थी कि मंगलवार को आकाश के स्वर्ण पदक जीतने के बाद भवर सिंह का दिल भारी था। आकाश के घर पहुंचने से एक दिन पहले भवर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हमेशा यह डर रहता था कि वह मुझसे पूछेगा कि मैंने उसे सूचित क्यों नहीं किया। आकाश के जाने से पहले, उसकी मां ने उससे कहा था, ‘मैं यहां एक निजी अस्पताल में हूं। हमारा परिवार मेरे साथ है। चिंता करने की कोई बात नहीं है। तुम जाओ और जीतो। बेटे ने वादा पूरा किया। परमात्मा ने साथ नहीं दिया। वह बेटे की जीत का जश्न नहीं मना पाई।’
हालांकि, आकाश समझते हैं कि उन्हें मां की मौत की सूचना क्यों नहीं दी गई। आकाश ने कहा, ‘मुझे पता है कि उन्होंने मेरे भले के लिए यह बात मुझसे छिपाई। मैं टूर्नामेंट बीच में ही छोड़ देता। मैंने रिंग में जिस तरह से जीत हासिल की। मैंने इस सप्ताह शीर्ष मुक्केबाज को हराया… अब मैं समझ गया हूं कि यह सब इसलिए कर पाया, क्योंकि मेरी मां का आशीर्वाद मेरे साथ था।’
आकाश की मां की मौत के बाद भवर ने सर्विसेज के कोच नरेंद्र राणा से बात की। राणा कहते हैं, ‘हमने दिल पर पत्थर रखकर तय किया कि हम उसे यह बात अभी नहीं बताएंगे। फेसबुक पर उसकी मां की मृत्यु को लेकर पोस्ट थे, इसलिए मैंने उसके और टीम के बाकी लोगों के फोन ले लिए ताकि उसे कुछ पता नहीं चले।’
राणा ने बताया, ‘मैंने उनसे कहा, ‘आपको रिंग पर ध्यान लगाने की जरूरत है। ट्रेनिंग सेशन के दौरान मेरी आंखें भर आती थीं, लेकिन मैंने उसे यह यह पता नहीं लगने दिया कि कुछ गड़बड़ है।’ आकाश ने एक बार साथी प्रतियोगी के फोन का इस्तेमाल कर घर पर फोन किया। आकाश ने बताया, ‘मैंने चाचा से मां के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, वह बहुत अच्छी नहीं हैं, लेकिन कोई बात नहीं। आप मुकाबलों पर ध्यान दें।’