शोएब अख्तर के नाम सबसे तेज रफ्तार से गेंद फेंकने का रिकॉर्ड आज भी है। उन्होंने अपने करियर के दौरान 444 अंतरराष्ट्रीय विकेट लिए। हालांकि, यह बात शायद ही कुछ लोगों को मालूम हो कि पाकिस्तान के इस पूर्व तेज गेंदबाज को बचपन में क्रिकेट का शौक नहीं था। यही नहीं बचपन से लेकर जवानी तक कोई भी उनकी क्षमता पर विश्वास ही नहीं करता था। हर कोई कहता था कि तुम यह काम नहीं कर सकते हो। शोएब अख्तर ने प्रसिद्ध कमेंटेटर हर्षा भोगले से बातचीत के दौरान यह अपनी सफलता की कहानी शेयर की थी।

हर्षा भोगले ने इंटरव्यू की शुरुआत करते हुए कहा था कि मेरे साथ आज एक बहुत ही तूफानी शख्स है। कहते थे जब मैदान पर उतरते थे तो हाथ में गेंद होती थी, तूफानी गेंदबाजी करते थे। और ऐसा भी अक्सर सुनने आता था कि मैदान के बाहर भी अंदाज जरा तूफानी था। हर्षा ने शोएब से पूछा, ‘तूफानी लफ्ज आपके साथ पहले भी इस्तेमाल हुआ होगा।’ अख्तर ने उनकी बात काटते हुए कहा, ‘फील्ड पर था तूफानी। ऑफ्टर फील्ड तो आप भी मुझे कई साल से देख रहे हैं, मुझे बताओ मैं कब तूफानी हुआ।’ हर्षा ने कहा, ‘नहीं मैं अभी खेलने के टाइम की बात कर रहा हूं। कहते थे कि शोएब अख्तर की हर चीज लार्जर दैन लाइन होती थी।’ इस पर अख्तर ने कहा, ‘वह मेरे बैकग्राउंड की वजह से।’

अख्तर ने कहा, ‘जब मैंने स्टार्ट की, हर चीज नो (NO) से शुरू हुई। नो यू कांड डू दिस। आप अच्छे तेज गेंदबाज नहीं बन सकते हैं। तुम एक हम्बल बैकग्राउंड से आते हो तो इसलिए तुम उस लेवल को नहीं छू सकते हो, जिससे एक आरामदायक जिंदगी जी सकते हो।’ हर्षा ने कहा, ‘तो जिंदगी भर लोगों को बताना चाहते थे कि मैं कर सकता हूं।’ शोएब ने कहा, ‘हां। जिंदगी का स्टार्ट ही नो से शुरू हुआ। नहीं। तो नहीं नहीं करते कि नहीं मैं कर सकता हूं, मैं कर सकता हूं, मैं कर सकता हूं। करते, करते, करते, करते, करते, वह मेरे अंदर एनर्जी कन्वर्ट होते-होते मैं स्टार बन गया।’

अख्तर ने बताया, ‘हालांकि, मुझे क्रिकेट खेलने का भी शौक नहीं था। मेरे भाई ले गए थे मुझे क्रिकेट में। एक लड़का कम था। तो उन लोगों ने मेरे भाइयों से कहा, यार अपने छोटे भाई को खिला दो। मैं उस वक्त 14-15 साल का था।’ इस पर हर्षा ने हंसते हुए पूछा, ‘उस समय तो आप सिर्फ 135 की स्पीड से गेंदबाजी करते होंगे।’ इस पर अख्तर ने कहा, ‘नहीं, 135 का रनअप था। मुझे बॉल दी। मैं वो… चला गया पीछे। उन्होंने कहा कि भाई बॉलिंग करनी है, फील्डिंग नहीं करनी। मैंने कहा प्लीज यह रनअप है। इसको रनअप कहते हैं। फिर मैंने रनअप लिया 135 कदम का। पहली ही गेंद मैंने इतनी तेज फेंकी कि सारे हैरान रह गए। वे सब कहने लगे कि यार ये तेरा भाई तो बड़ी अच्छी बॉलिंग करता है।’

शोएब ने बताया, ‘दो साल भी मैंने क्रिकेट नहीं खेली थी। माजिद खान आए थे, क्लब क्रिकेट का मैच खेलने। उनसे मेरे बड़े भाई ने रिक्वेस्ट की, शोएब को प्लीज अपने क्लब में ले लीजिए। ये क्लब में खेलेगा, तो कुछ बन जाएगा शायद। पढ़ाई में इसने कुछ करना नहीं है। इसके बाद मैं माजिद खान के क्लब का हिस्सा बन गया और बस वहीं से मैं सफलता की सीढ़ियां चढ़ता चला गया।’