पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड द्वारा पीओके स्थित मुजफ्फराबाद में क्रिकेट टूर्नामेंट कश्मीर प्रीमियर लीग का आयोजन किया जा रहा है। इस लीग का पीस ब्रान्ड एंबेसडर पूर्व पाकिस्तानी गेंदबाज शोएब अख्तर को बनाया गया है। इसी बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूट्यूब पर शोएब अख्तर का एक वीडियो सामने आया जिसमें वह मुजफ्फराबाद के क्रिकेट स्टेडियम जा रहे हैं जहां इस लीग का आयोजन हो रहा है।

मुजफ्फराबाद स्थित क्रिकेट स्टेडियम में आयोजित एक प्रोग्राम में शोएब अख्तर को स्पीच देने के लिए बुलाया गया था। इस दौरान शोएब अख्तर इस लीग को लेकर खुशी जताते हैं और कहते हैं कि, ‘काश ये लीग अगली बार श्रीनगर में हो। खेल होना चाहिए खून-खराबा नहीं।’

पूर्व पाकिस्तानी गेंदबाज ने ये वीडियो अपने यूट्यूब पेज पर अपलोड किया है। इस वीडियो में वे कश्मीर प्रीमियर लीग को लेकर काफी बातें करते नजर आ रहे हैं। इस बीच वे एक जगह ये भी कहते हैं कि,’कश्मीरियों को उनका हक मिलना चाहिए। दोनों देशों के बीच अमन और शांति होनी चाहिए।’


वहीं शोएब अख्तर के इस वीडियो पर कई कमेंट्स भी आने लगे जो निश्चित ही उन्हें पसंद नहीं आएंगे। लोगों ने कमेंट में कहना शुरू कर दिया कि शोएब अख्तर को लीग का पीस ब्रान्ड एंबेसडर बनाना क्लास के सबसे शैतान बच्चे को मॉनिटर बनाने जैसा है। दूसरे ने कमेंट किया कि लोगों की हड्डियां तोड़ने, गाली देने और स्लेज करने के बाद इन्हें पीस एंबेसडर बनाया गया है।

गौरतलब है इस लीग की शुरुआत से पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के बीच काफी विवाद और बयानबाजी देखी गई थी। बीसीसीआई ने आईसीसी को पत्र लिखकर इस लीग को मान्यता नहीं देने की मांग की थी। दूसरी तरफ पीसीबी ने अपने आंतरिक मामलों का हवाला देते हुए बीसीसीआई के हस्तक्षेप पर आपत्ति जताई थी।

ये विवाद शुरू हुआ था दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर हर्शेल गिब्स से। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व सलामी बल्लेबाज की इस लीग में खेलने की उम्मीदें जताई जा रही थीं। इसके पहले उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि उन्हें धमकी दी गई थी कि, “उन्हें क्रिकेट से संबंधित किसी भी काम के लिए भारत में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।”

दरअसल आजादी के बाद हुए विभाजन के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद की जड़ रहा है। दोनों देशों के बीच कई बार युद्ध भी हुए लेकिन पाकिस्तान को हर बार मुंह की खानी पड़ी। इसी तथ्य के आधार पर बीसीसीआई ने आईसीसी से शिकायत की।