दिग्गज ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर दिवंगत शेन वार्न की कप्तानी में साल 2008 में आईपीएल के पहले सत्र में राजस्थान रॉयल्स की टीम विजेता बनी थी। टीम 14 साल बाद आईपीएल 2022 में फाइनल में पहुंची है और रविवार को उसका मुकाबला गुजरात टाइटंस से होगा। इस बीच टीम से जुड़ा पहले सत्र का एक वाक्या सामने आया है। 2008 सीजन की शुरुआत से कुछ दिन पहले शेन वार्न ने फ्रेंचाइजी के मालिक मनोज बडाले के साथ टीम चयन को लेकर मतभेद के कारण टीम छोड़ने तक की धमकी दे दी थी।

अपनी आत्मकथा नो स्पिन में वार्न ने खिलाड़ी की पहचान बताए बगैर लिखा है कि उन्होंने बडाले की मांग पर 16 खिलाड़ियों के स्क्वायड में बदलाव करने से मना कर दिया था। दोनों के बीच इसे लेकर तूतू-मैंमैं हुआ था। वार्न ने कोच और वरिष्ठ खिलाड़ियों के साथ मिलकर 50 खिलाड़ियों की सूची में कटौती की थी। इसके बाद का यह मामला है।

10-दिन के लंबे टीम ट्रायल में ऑस्ट्रेलियाई महान खिलाड़ी रविंद्र जडेजा और स्वप्निल असनोदकर जैसे अनकैप्ड भारतीय खिलाड़ियों से प्रभावित थे, लेकिन उस खिलाड़ी से प्रभावित नहीं थे, जिसे उन्होंने आसिफ बताया। आंकड़ों के आधार पर बडाले ने आसिफ को शामिल करने के लिए दबाव डाला और तभी वार्न ने अल्टीमेटम दिया। उनका तर्क सरल था वह ट्रायल में खिलाड़ियों का आकलन करने में निष्पक्ष थे और उन्होंने कहा था कि वह ऐसे खिलाड़ी को शामिल करके ड्रेसिंग रूम में सम्मान खो देंगे।

वार्न ने कहा था, “अगर मैं आसिफ को स्क्वायड में जगह दे दूं, तो उन्हें पता चल जाएगा कि वह प्रतिभावान नहीं हैं और वह पक्षपात के कारण वहां हैं। उस समय, मैं उनका विश्वास खो दूंगा। तो अगर आप आसिफ को टीम में चाहते हैं, तो ठीक है, लेकिन मैं आपको आपके पैसे वापस कर दूंगा। मैं इसका हिस्सा नहीं बनना चाहता। ‘क्या आप गंभीर हैं?’ मनोज बडाले ने पूछा। मैना कहा कि मैं पूरी तरह से गंभीर हूं।”

अगले दिन राजस्थान मालिक एक नए फार्मूले के साथ आए। वह चाहते थे कि आसिफ को 16 खिलाड़ियों की सूची में शामिल नहीं किया जाए, लेकिन उसको टीम की शर्ट पहनकर डगआउट में रहने दिया जाए। वार्न ने ऐसा करने से भी इन्कार कर दिया। दिग्गज खिलाड़ी ने कहा, “नहीं हम सभी के लिए यह क्षेत्र बहुत छोटा है और वैसे भी मैं नहीं चाहता कि वह वहां बैठे रहे। फिर से ऐसा लगेगा कि हम उस पर एक एहसान कर रहे हैं।” मनोज ने इसपर कहा, ” ठीक है। ” मामला वहीं बंद हो गया। वार्न को मनचाहा टीम मिल गई और मालिक-कप्तान के बीच एक दूसरे के लिए सम्मान बना रहा।