भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने सोमवार को अपने एक बयान में कहा कि फुटबॉल के विपरीत क्रिकेट एक कप्तान का खेल होता है। ऐसे में कोच को चाहिए कि वह बैक सीट पर रहे। सौरव गांगुली के इस बयान को भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रवि शास्त्री पर निशाना समझा जा रहा है। भारत के टॉप कप्तानों में शुमार सौरव गांगुली ने कहा कि ‘मैन मैनेजमेंट’ एक ऐसी खूबी है जो एक कोच के अंदर होनी चाहिए। सौरव गांगुली ने ये बातें सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में अपनी किताब A Century is not enough की लॉन्चिंग के अवसर पर कहीं। गांगुली की इस किताब के सह-लेखक वरिष्ठ खेल लेखक गौतम भट्टाचार्य हैं।

इस दौरान गौतम भट्टाचार्य के साथ एक पैनल डिस्कशन के दौरान गांगुली ने क्रिकेट में कोच के रोल पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि यहां फुटबॉल जैसा नहीं है। आज के बहुत सारे कोच सोचते हैं कि वह क्रिकेट को एक फुटबॉल टीम की तरह चला सकते हैं। लेकिन क्रिकेट कप्तानों का खेल है और कोच को यहां बैक सीट पर रहना चाहिए और यही महत्वपूर्ण है। गांगुली से एक सवाल के जवाब में पूछा गया था कि उन्हें अपने करियर के दौरान सबसे अच्छा सुझाव क्या मिला था? इस पर गांगुली ने कहा कि “कभी भी कोच का चुनाव मत करना।” जब गांगुली से पूछा गया कि यदि उन्हें मौका मिले तो वह भारत के मौजूदा कोच रवि शास्त्री से क्या सवाल करेंगे। इस पर गांगुली ने कहा कि “मैं उनसे पूछूंगा कि टीम कौन चुनता है, रोहित शर्मा या फिर रवि शास्त्री?”

सौरव गांगुली ने कहा कि वह काफी भाग्यशाली रहे कि उनकी टीम में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, विरेंद्र सहवाग, जहीर खान और हरभजन सिंह जैसे चैंपियन खिलाड़ी मौजूद थे। आज मौजूदा टीम में भी कई टैलेंटेड खिलाड़ी मौजूद हैं, लेकिन उन्हें यह पता नहीं है कि वह अगला मैच खेलेंगे या नहीं। इस पर गांगुली ने कहा कि विराट कोहली को इस पर काम करने की जरुरत है। गांगुली ने कहा कि थोड़ा-बहुत दबाव प्रोफेशनल जिंदगी के लिए जरुरी है, लेकिन ज्यादा दबाव बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। दुबई में जारी एशिया कप में पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसी टीमों के खराब प्रदर्शन पर गांगुली ने कहा कि यह एक दौर है, जिससे ये टीमें जल्द ही वापसी कर लेंगी। गांगुली ने बातचीत के दौरान ये भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया की मौजूदा टीम पिछले 20-25 सालों की उनकी टीमों में सबसे ज्यादा कमजोर है।