हमारी धरती के वायुमंडल में सामान्य ऑक्सीजन का स्तर लगभग 20.88% (वैल्यूम के हिसाब से) होता है। मतलब हवा के हर 100 अणुओं में लगभग 21 ऑक्सीजन के अणु होते हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति का ब्लड ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल (परिपूर्णता स्तर) आमतौर पर 95% से 100% (SpO2) के बीच होता है। परफॉर्मेंस के दौरान खिलाड़ियों के शरीर में यह जितना अनुकूल होता है, उनका प्रदर्शन उतना बेहतर होता है।
यही वजह है कि खिलाड़ियों की कोशिश होती है कि जिस देश में उन्हें प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जाना है वह वहां पहले पहुंचे और खुद को मौसम की स्थितियों के अनुकूल ढाल सकें। अब बेंगलुरु स्थित स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Sports Authority of India) के दक्षिणी केंद्र में भारत में ही खिलाड़ियों को यह सुविधा मिल रही है। साई (SAI) सेंटर बेंगलुरु में एक हाइपोक्सिक चैंबर है, जिसमें खिलाड़ियों को 20.88% की जगह 15% ऑक्सीजन के स्तर पर रखा जाता है, ताकि अधिक दबाव वाली स्थितियों के अनुकूल उनका शरीर ढल सके।
भारतीय खेल प्राधिकरण के नेताजी सुभाष दक्षिणी केंद्र में व्यायाम शरीर क्रिया विज्ञान विभाग के प्रमुख स्नेहांगशु विश्वास ने जनसत्ता को बताया, ‘हाइपोक्सिक चैंबर में खिलाड़ियों को रखने के दौरान हम ऑक्सीजन के स्तर को 15% तक कर देते हैं। हालांकि, इस दौरान यह भी ध्यान रखना होता है कि उनके शरीर का SpO2 स्तर 85% से नीचे नहीं जाए, क्योंकि इससे कम होने पर खिलाड़ी के लिए समस्या पैदा हो सकती है।’
स्नेहांगशु विश्वास ने बताया, ‘इस हाइपोक्सिक चैंबर का लाभ अविनाश साबले और सुधा सिंह जैसे दिग्गज एथलीट भी उठा चुके हैं।’ यह पूछने पर कि प्रतियोगिता से पहले खिलाड़ी को कम से कम कितने दिन हाइपोक्सिक चैंबर में बिताने होते हैं, स्नेहांगशु विश्वास ने बताया, ‘कम से कम 28 से 30 दिन। हम 45 दिन तक भी खिलाड़ियों को इसमे रख सकते हैं।’
स्नेहांगशु विश्वास ने यह भी बताया कि खिलाड़ियों को हाइपोक्सिक चैंबर में रोजाना कम से कम 8 घंटे रहना होता है। भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए स्नेहांगशु विश्वास ने कहा, ‘अब हम एनवायरमेंटल सेंटर बनाने की तैयारी में हैं, जहां पर ऑक्सीजन लेवल के साथ-साथ गर्मी और मौसम के स्तर को भी घटा बढ़ा पाएंगे।’
बेंगलुरु SAI NSSC पर एक नजर
खिलाड़ियों के लिए अत्याधुनिक विश्वस्तरीय सुविधाएं मुहैया कराईं गईं हैं। नेताजी सुभाष दक्षिणी केंद्र की स्थापना 13 अप्रैल 1974 को बेंगलुरु के श्री कांतीरवा स्टेडियम में की गई थी। इसे बाद में 29 जुलाई 1985 को बैंगलोर विश्वविद्यालय के निकट स्थानांतरित कर दिया गया। 80.2 एकड़ में फैले इस केंद्र में वर्तमान में लगभग 300 भारतीय टीम के एथलीट हैं जो एथलेटिक्स, हॉकी, टेबल टेनिस, वॉलीबॉल, कबड्डी और वाटर पोलो में राष्ट्रीय कोचिंग शिविरों में प्रशिक्षण ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (NCoE) में एथलेटिक्स, हॉकी और वॉलीबॉल के 300 प्रतिभाशाली एथलीट नामांकित हैं।
बुनियादी ढांचा और विकास
2014 से अब तक 140 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश।
लड़कों के लिए छात्रावास (300 बिस्तर) और लड़कियों के लिए (330 बिस्तर)।
हाइपोक्सिक चैंबर, स्मार्ट सिंथेटिक ट्रैक, बहुउद्देशीय इनडोर हॉल।
छात्रावास की क्षमता 600 से बढ़ाकर 1400 की गई।
उच्च प्रदर्शन केंद्र (NCoE)
जमीनी से शीर्ष स्तर के एथलीट्स के लिए एकीकृत प्रशिक्षण।
पूर्णकालिक वैज्ञानिक सहायता (पोषण, फिजियोथेरेपी, मनोविज्ञान आदि)।
विश्वस्तरीय उपकरणों की व्यवस्था।
15 करोड़ रुपये वार्षिक परिचालन व्यय।
कोचिंग और मेंटरशिप
10 (2013 में) की जगह अब 25 से ज्यादा कोच।
इसमें विदेशी विशेषज्ञ के अलावा पीआर श्रीजेश, अश्विनी अकुंजी जैसे प्रतिष्ठित भारतीय ओलंपियन भी शामिल हैं।
5-स्टार रेटिंग ‘ईट राइट’ मेस
डाइट डिपार्टमेंट (आहार विभाग) में भी बड़ा बदलाव हुआ है। शेफ जयराज की अगुआई में अत्याधुनिक रिसर्च किचन है, जो कस्टमाइज्ड रेसिपी बनाने के लिए नूट्रिशनिस्ट्स (पोषण विशेषज्ञों) के साथ मिलकर काम करती है। एथलीट्स के लिए मील कार्ड भी है, ताकि उनके कन्सम्प्शन (वे क्या खाते हैं) पर नजर रखी जा सके।
कस्टमाइज्ड मील प्लान, एनर्जी बार और वैश्विक व्यंजन की सुविधा।
एथलीट मील कार्ड और फीडबैक सिस्टम के साथ पोषण निगरानी।
स्वच्छता और पोषण के लिए FSSAI 5-स्टार रेटिंग।
खेल विज्ञान और चिकित्सा सहायता
न्यूरोट्रैकर, फोर्स प्लेट, आइसोकाइनेटिक सिस्टम आदि जैसे उपकरणों की सुविधा।
शैक्षणिक कार्यक्रम
खेल कोचिंग में डिप्लोमा (12 विषय में 273 छात्र)
डिजिटल कक्षाएं, पाठ्यक्रम में सुधार, वजीफे के साथ इंटर्नशिप।
कोच शिक्षा में योग और खेल विज्ञान का एकीकरण।
(लेखक भारतीय खेल प्राधिकरण के निमंत्रण पर एनएसएससी बेंगलुरु में थे।)