केरल हाई कोर्ट द्वारा मंगलवार को तेज गेंदबाज एस श्रीसंत पर लाइफटाइम बैन बरकरार रखे जाने के फैसले के बाद क्रिकेटर ने सिलसिलेवार ट्वीट कर इस आदेश की कड़ी आलोचना की। उन्होंने ट्वीट करते हुए उन 13 नामों का खुलासा करने को कहा, जो स्कैंडल में शामिल थे। अगस्त में केरल हाई कोर्ट ने सबूतों के आभाव में श्रीसंत से सभी आरोप हटा लिए थे, जिसके बाद बीसीसीआई ने अदालत का रुख किया था। ताजा आदेश में कोर्ट ने पुराने फैसले को पलट दिया। इसके बाद 34 वर्षीय श्रीसंत ने कहा कि उनके साथ जो अन्याय हुआ है, वह उसके खिलाफ लड़ते रहेंगे। ट्वीट में श्रीसंत ने लिखा, मेरे परिवार और करीबी लोगों को अब भी मुझ पर विश्वास है। मैं लड़ाई जारी रखूंगा और हार नहीं मानूंगा। दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, यह सबसे खराब फैसला है, मेरे लिए खास नियम। असली दोषियों का क्या? चेन्नई सुपर किंग्स का क्या? राजस्थान का क्या? तीसरे ट्वीट में तेज गेंदबाज ने कहा कि लोढ़ा कमिटी की रिपोर्ट में 13 आरोपियों के नाम थे, उनका क्या हुआ? कोई उसके बारे में जानना नहीं चाहता। मैं अपने अधिकार के लिए लड़ता रहूंगा। इस मामले में जो अन्य नाम सामने आए थे उनमें पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन, आईपीएल के सीओओ सुंदर रमन, राजस्थान रॉयल्स के को-ओनर राज कुंद्रा और चेन्नई सुपर किंग्स के चीफ गुरुनाथ मयप्पन शामिल थे।
श्रीसंत के ट्वीट्स का जवाब देते हुए बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने डीएनए से कहा, हम इस बारे में क्या कर सकते हैं। हमने कभी ये नाम नहीं दिए थे। सीलबंद लिफाफा सुप्रीम कोर्ट के पास है और अगर शीर्ष अदालत इसकी जांच चाहती है तो बीसीसीआई को इस पर कोई आपत्ति नहीं है। बीसीसीआई अधिकारी ने कहा, मुझसे जांच टीम ने श्रीसंत की संलिप्तता के बारे में पूछा था। मैंने उनसे सीधे शब्दों में कहा कि कोई भी खिलाड़ी अकेला यह काम नहीं कर सकता, जब तक टीम का कप्तान इसमें शामिल न हो।
गौरतलब है कि श्रीसंत और राजस्थान रॉयल्स के दो अन्य खिलाड़ियों को 2013 के आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में कथित तौर पर शामिल होने के बाद आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था। इन पर आरोप था कि पैसे लेकर खिलाड़ियों ने मैच में बुरा प्रदर्शन किया था। इसके बाद श्रीसंत, अंकित चौहान और अजीत चंदिला को गिरफ्तार कर लिया गया था। उनके पास से बुकीज के स्कोर्स भी मिले थे। हालांकि आपराधिक मुकदमे तो बाद में हटा दिए गए, लेकिन बीसीसीआई के नियमों का उल्लंघन करने के कारण खिलाड़ियों पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया था।
