दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार ने कोई विकल्प नहीं बचे रहने के बाद सोमवार (16 मई) को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर भारतीय कुश्ती महासंघ को चयन ट्रायल करवाने का निर्देश देने की अपील की जिससे यह तय हो सके कि पुरुष वर्ग के 74 किग्रा फ्रीस्टाइल में रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कौन करेगा। सूत्रों ने दावा किया कि उच्च न्यायालय मंगलवार (17 मई) इस मामले की सुनवाई कर सकता है। सुशील के करीबी सूत्र ने कहा, ‘हमारे पास अदालत जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था क्योंकि सुशील ट्रायल में शामिल होने का मौका चाहता है।’
रियो के अभ्यास शिविर के लिये भारतीय खिलाड़ियों में सुशील का नाम शामिल नहीं है। इसके अलावा सुशील को एक और झटका तब लगा जब खेल मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने रियो ओलंपिक के चयन में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह मसला डब्ल्यूएफआई को सुलझाना है। डब्ल्यूएफआई 74 किग्रा में ट्रायल करवाने के पक्ष में नहीं है जिससे यह तय होगा कि सुशील और नरसिंह पंचम यादव में से कौन रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। पूर्व विश्व चैंपियन सुशील ने यह मामला प्रधानमंत्री कार्यालय में भी पहुंचाया लेकिन उन्हें अभी तक जवाब नहीं मिला है। उन्होंने इसके साथ ही खेल मंत्री, भारतीय ओलंपिक संघ, डब्ल्यूएफआई और प्रशंसकों से भी अपील की।
डब्ल्यूएफआई भी इस विवाद को सुलझाने के लिये खेल मंत्रालय का हस्तक्षेप चाहता था लेकिन सोनोवाल ने साफ किया कि ‘सरकार इसमें कुछ नहीं कर सकती और महासंघ जो कि स्वायत्त संस्था है, वहीं अंतिम फैसला करेगा।’ नियमों के अनुसार कोटा किसी एक पहलवान को नहीं बल्कि देश को मिलता है और इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि सुशील और नरसिंह में से किसी एक का चयन करने के लिये ट्रायल होगा। वैसे अभी तक का चलन कोटा हासिल करने वाले खिलाड़ी को ही ओलंपिक भेजने का रहा है।
डब्ल्यूएफआई ने संकेत दिये हैं कि वह 74 किग्रा में ट्रायल करवाने के पक्ष में नहीं है। उसे डर है कि भारत ने जिन अन्य सात वजन वर्गों में कोटा हासिल किया है उससे जुड़े अन्य पहलवान भी ट्रायल की मांग कर सकते है। सुशील का पत्र अभी पीएमओ में पड़ा है और डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह ने कहा कि महासंघ इस मामले में सरकार के निर्देशों का इंतजार करेगा।
नरसिंह ने पिछले सल लास वेगास में विश्व चैंपियनशिप में 74 किग्रा में कांस्य पदक जीतकर कोटा हासिल किया था और इसलिए वह ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का दावा कर रहे हैं। सुशील चोटिल होने के कारण उसमें भाग नहीं ले पाए थे।
सुशील का कहना है कि सरकार ने उन पर काफी पैसा खर्च किया है और महासंघ ने भी उन्हें अभ्यास जारी रखने के लिए कहा था। उन्होंने कहा, ‘यदि पहले ही फैसला कर लिया गया था कि कोटा हासिल करने वाला खिलाड़ी ही रियो खेलों में जाएगा तो डब्ल्यूएफआई को मुझे कह देना चाहिए था और मेरा नाम खेल मंत्रालय के टॉप कार्यक्रम से हटा देना चाहिए था।’