रियो ओलंपिक की शुरुआत भारत ही नहीं रूस के लिए भी दुर्भाग्यपूर्ण थीं क्योंकि इसका कारण डोप टेस्ट को लेकर आई जांच रिपोर्टें थीं। इनके कारण कई खिलाड़ियों के करियर पर सवालिया निशान लग गया था। अब वाडा ने डोपिंग पर एक स्वतंत्र रिपोर्ट जारी की है जिसमें 2016 ओलंपिक के दौरान डोपिंग को लेकर लापरवाही बरतने की बात सामने आई है। इस रिपोर्ट से खेलजगत के लोग स्तब्ध हैं। भारत की ओर से डोप टेस्ट को लेकर सबसे बड़ा विवाद पहलवान नरसिंह यादव का रहा। ओलंपिक से महज दो हफ्ते पहले डोपिंग के दोषी पाए गए

नरसिंह को नाडा (राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजंसी) ने तो ओलंपिक जाने की इजाजत दे दी लेकिन वाडा ( विश्व डोपिंग रोधी एजंसी) के नियमों के आगे वे पस्त हो गए। रियो डि जिनेरियो पहुंचने के बाद भी उन्हें प्रतियोगिता में भाग नहीं लेने दिया गया। दरअसल वाडा ने 55 पन्नों की अपनी रिपोर्ट (रिपोर्ट आॅफ द इंडिपेंडेंट आॅब्जर्बर) में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के डोप मुक्त ओलंपिक खेलों के आयोजन पर ही सवाल उठा दिया है। इस रिपोर्ट में कई चौकाने वाली बातें सामने आई हैं। रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि रियो में डोप टेस्ट के लिए जरूरी सुविधाएं तो दूर कमर्चारियों की पर्याप्त संख्या तक नहीं थी। इससे ओलंपिक के दौरान तय लक्ष्य से कम डोप टेस्ट मुमकिन हो पाए। रिपोर्ट पर एक नजर डालने से कुछ खास बातें स्पष्ट होती हैं।

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वाडा ने जो रिपोर्ट जारी की है उसमें डोप टेस्ट को लेकर गंभीर लापरवाही की बात कही है। इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि डोप टेस्ट को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानकों की अनदेखी की गई और आधे से अधिक नियमों का पालन नहीं किया गया।रिपोर्ट में कहा गया है कि डोप टेस्ट को लेकर ओलंपिक आयोजकों और खिलाड़ियों के बीच तालमेल की कमी दिखी। खेलों के दौरान आधे से अधिक खिलाड़ियों का डोप टेस्ट इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि वे खेल गांव पहुंचे ही नहीं या तय समय पर वहां उपस्थित ही नहीं थे। इसके साथ ही डोपिंग टेस्ट के सैंपल एकत्र करने वालों को उपयुक्त प्रशिक्षण नहीं दिया गया। बता दें कि वेयरअबाउट नियम के तहत ओलंपिक में एथलीटो को अपनी लोकेशन की जानकारी देनी पड़ती है, लेकिन ज्यातर एथलीटों ने इसका उल्लंघन किया।

 

इस रिपोर्ट में यह जिक्र भी है कि रियो में बजट कटौती के कारण डोप टेस्ट में लगे अधिकारियों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिली। हालात यह थे कि अधिकारियों को उपयुक्त यातायात की सुविधा भी नहीं दी गई थी। रियो में रोजाना 350 सैंपल एकत्र करने का लक्ष्य रखा गया था, जो सुविधाओं की कमी के कारण पूरा नहीं हो पाया। आकड़ों को ध्यान में रखें तो 11 अगस्त को सबसे ज्यादा सैंपल एकत्र किए गए।टोटल डिस्ट्रीब्यूशन प्रोग्राम के तहत ओलंपिक के दौरान लगभग 5000 सैंपल एकत्र किए गए। इसके लिए कुल 186 डोपिंगरोधि अधिकारी नियुक्त किए गए जिनमें 128 अधिकारी अंतरराष्ट्रीय समिति से लिए गए जबकि 58 ब्राजील के ही थे।