सरदार सिंह

भारतीय हॉकी टीम ने 1980 में मास्को में स्वर्ण पदक जीता था। उसके बाद से वह पहले ओलंपिक पदक की तलाश में है। इस बार टीम ने सरदार सिंह की कप्तानी में रियो का टिकट हासिल किया है लेकिन ओलंपिक में टीम की कमान श्रीजेश के हाथ में होगी। दो दशकों में अगर देखा जाए तो टीम बुरी तरह से विफल रही है। वहीं साल 2004 में एथेंस में टीम क्वालीफाई ही नहीं कर पाई थी। बीते दिनों डच कोच रोनाल्ड ओल्ट्मस के कार्यकाल में टीम के प्रदर्शन में सुधार हुआ है। हाल में भारत ने चैंपियंस ट्राफी में रजत पदक जीता। रियो ओलंपिक में भारतीय टीम के अच्छे प्रदर्शन में सरदार सिंह का अहम योगदान होगा। लोगों को उनसे उम्मीद है कि इस बार ओलंपिक में पदक का सूखा खत्म होगा। सरदार सेंटर-हाफ में खेलते हैं। सरदार सिंह साल 2008 में सुल्तान अजलान शाह कप में भारतीय टीम के सबसे युवा कप्तान बनाए गए थे। 2015 में इस हरियाणवी को पद्म्मश्री मिला था। हॉकी इंडिया लीग के पहले संस्करण में सरदार सिंह सबसे महंगे खिलाड़ी रहे थे। उन्हें दिल्ली ने 42.49 लाख रुपए में खरीदा था। साथ ही वह प्लेयर आॅफ़ द टूर्नामेंट भी रहे थे। सरदार ने 243 मैचों में 15 गोल भारत के लिए किए हैं। सरदार सिंह सुल्तान अजलान शाह कप में दो बार प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने थे। पहली बार 2010 में टीम ने स्वर्ण पदक जीता था और दूसरी बार जब टीम 2012 में कांस्य जीतने में कामयाब हुई थी। दिल्ली में 2010 और ग्लासगो में 2014 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने वाली टीम के कप्तान सरदार सिंह थे।

सुशीला चानू

सुशीला चानू ने 2003 से पोस्टीरियर हॉकी अकादमी, मणिपुर में ट्रेनिंग शुरू की। चार साल बाद सुशीला ग्वालियर महिला हॉकी अकादमी से जुड़ गई। अगले ही साल मलेशिया में अंडर 21 एशिया कप में उन्होंने पदार्पण किया। 2011 और 2012 के नेशनल खेलों में अपने टीम को कांस्य पदक दिलवाया। 2013 मेंजमर्नी के मोंचेंगलड़बच, में आयोजित जूनियर वर्ल्ड कप में टीम की अगुआई करते हुए कांस्य पदक दिलवाया। 2013 से सुशीला ने सीनियर टीम के लिए खेलना शुरू कर दिया। 2015 वर्ल्ड हॉकी लीग के सेमीफाइनल में पहुंचने में सुशीला का अहम योगदान था।

वंदना कटारिया
वंदना कटारिया भारतीय महिला हॉकी टीम की एक अनुभवी खिलाड़ी हैं। वंदना का सपना है अपनी टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन करना। वंदना का जन्म 15 अप्रैल 1992 को उत्तर प्रदेश में हुआ था। 2006 में वह जूनियर टीम की ओर से खेली और चार साल बाद 2010 में सीनियर टीम का हिस्सा बन गईं। 18 साल की उम्र में उन्होंने सीनियर टीम में जगह बनाई। साल 2013 में जर्मनी के मोंचेंगलड़बच, में जूनियर वर्ल्ड कप में उन्होंने अपनी टीम को कांस्य पदक दिलवाया। टूर्नामेंट के चार मैचों में 5 गोल दाग कर वह भारत की ओर से सबसे ज्यादा गोल करनेवाली खिलाड़ी बनीं। 24 साल की वंदना ने कनाडा के ग्लासगो में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय टीम के साथ 100 मैच पूरे किए। हॉक्स बे कप में भारतीय टीम छठी आई थी और वहां पर टीम को वंदना की कमी खली। 2014-15 में उन्होंने एफआइएच वर्ल्ड हॉकी लीग में टीम को जीत दिलाई। वह 11 गोल करके टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करनेवाली ख़िलाड़ी बनीं। वंदना महिलाओं की लीग, जैसे हॉकी इंडिया लीग की बड़ी समर्थक हैं। उनके अनुसार इस तरह की लीग से महिलाओं को अपनी काबिलियत दिखाने का मौका मिलेगा।