विदर्भ ने केरल के खिलाफ फाइनल मुकाबला रविवार को ड्रॉ पर छूटने के बाद पहली पारी की बढ़त के दम पर अपना तीसरा रणजी ट्रॉफी खिताब जीता। विदर्भ ने इससे पहले 2017-18 और 2018-19 में प्रतियोगिता जीती थी।

विदर्भ की दूसरी पारी में नौ विकेट पर 375 रन बनने के बाद मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ। विदर्भ की टीम ने अपनी पहली पारी में 379 रन बनाए थे और केरल को 342 रन पर आउट कर 37 रन की महत्वपूर्ण बढ़त कायम की थी। इसके बाद केरल को 40 से भी कम ओवर में 412 रन बनाने का लक्ष्य मिला और केरल ने मैदान पर न उतरने का फैसला किया।

विदर्भ के लिए करुण नायर ने दूसरी पारी में 135 रन बनाये। नायर ने रणजी ट्रॉफी के मौजूदा सत्र में अपना चौथा शतक जड़ा। उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी में भी पांच शतक लगाये जिससे इस सत्र में उनके नाम कुल नौ शतक हो गये। 

जल्दी गंवा दिए थे ओपनर्स के विकेट

पहली पारी में 37 रन की बढ़त लेने वाली विदर्भ को हालांकि दूसरी पारी अच्छी शुरुआत नहीं मिली। टीम ने चौथे दिन पहले सत्र में दोनों सलामी बल्लेबाजों के विकेट गंवा दिये। अनुभवी स्पिनर जलज सक्सेना ने दूसरे ओवर में अपनी पहली ही गेंद पर पार्थ रेखाडे (एक) को आउट किया । वहीं मध्यम तेज गेंदबाज एम डी निधीश (37 रन पर एक विकेट) की गेंद पर विकेटकीपर मोहम्मद अजहरुद्दीन ने ध्रुव शोरे (पांच ) का शानदार कैच पकड़ा। शोरे ने ऑफ स्टंप की बाहर की गेंद पर बल्ला अड़ा दिया और अजहरुद्दीन ने दायीं ओर डाइव लगाकर कमाल का कैच पकड़ा जिससे विदर्भ ने सात रन पर दो विकेट गंवा दिये।

नायर और मालेवार ने संभाली पारी

नायर और मालेवार ने इसके बाद धैर्य और एकाग्रता से बल्लेबाजी करते हुए केरल के गेंदबाजों को ज्यादा मौके नहीं दिये। नायर ने अपनी पारी कई कलात्मक शॉट खेले। दोनों की 182 रन की साझेदारी को अक्षय चंद्रन (29 रन पर एक विकेट) ने मालेवर को स्लीप में कप्तान सचिन बेबी के हाथों कैच कराकर तोड़ा। यश राठौड़ (24) ने इसके बाद नायर के साथ चौथे विकेट के लिए 49 रन जोड़े। वह आदित्य सरवटे (55 रन पर एक विकेट) का शिकार बने।