वेस्टइंडीज को 2 बार वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाले डैरेन सैमी का नस्लभेद को लेकर फिर दर्द छलका है। उन्होंने सवाल उठाया है कि आखिर भारत में क्रीम को फेयर एंड लवली को क्यों कहा जाता है। सैमी की दलील है कि नस्ल और रंग के मामले में भारत में बहुत ज्यादा विविधता है, फिर उस देश ने फेयर एंड लवली जैसे प्रोडक्ट को आखिर क्यों स्वीकार किया?
डैरेन सैमी पहले भी नस्लभेद को लेकर आवाज उठा चुके हैं। उन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में भी नस्लवाद होने का आरोप लगाया था। हालांकि, बाद में अपने तत्कालीन टीम सनराइजर्स हैदराबाद के साथियों से बात करने के बाद उन्होंने मामला रफा-दफा कर दिया था।
अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद से दुनिया भर में नस्लभेद का मुद्दा गर्माया हुआ है। नस्लभेद के खिलाफ दुनिया के हर कोने में आवाज उठ रही है। वेस्टइंडीज के क्रिकेटरों की बात करें तो सैमी के अलावा क्रिस गेल और टीम के मौजूदा कप्तान जेसन होल्डर भी इस मुद्दे को उठा चुके हैं। गेल ने कहा था कि उन्हें भी दुनिया के बहुत से देशों में नस्लभेद का शिकार होना पड़ा।
36 साल के सैमी ने हाल ही में आउटलुक को दिए एक इंटरव्यू में भारत से बड़ा सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि भारत में आखिर क्यों एक क्रीम को फेयर एंड लवली (fair and lovely) कहा जाता है? यह स्पष्ट रूप से रंगभेद का संकेत देता है। सैमी ने कहा, ‘आपका विज्ञापन, फेयर एंड लवली कहता है कि गोरे लोग प्यारे लोग हैं। यह किसका प्रतीक है। यह रंगभेद का संकेत देता है।’
वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान रंगभेद को लेकर काफी मुखर हैं। उन्होंने कुछ दिनों पहले कहा था कि हमें लोगों को ज्यादा शिक्षित करने की जरूरत है। सैमी ने कुछ दिन पहले आरोप लगाया था कि आईपीएल में उनकी तत्कालीन टीम सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाड़ी उन्हें कालू बुलाते थे। उस समय उन्हें कालू शब्द का अर्थ नहीं मालूम था। हालांकि, बाद में सैमी ने बताया कि उनकी साथी खिलाड़ियों से बात हुई है। उन्हें पता चल गया है कि वे सब लोग उन्हें प्यार में कालू कहते थे।
बता दें कि नस्लवाद का मुद्दा गर्माने के बाद फेयर एंड लवली ने इसका नाम बदलने का फैसला किया है। यूनिलिवर ब्यूटी ऐंड पर्सनल केयर डिवीजन के अध्यक्ष सनी जैन ने कुछ दिन पहले कहा था, ‘हम पहचानते हैं कि फेयर, सफेद या लाइट जैसे शब्दों का सुंदरता को दर्शाने के लिए किया जाता रहा है, मगर हम ऐसा नहीं मानते, इसीलिए हम इसे बदलना चाहते हैं।’