अपने जमाने के दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण ने कहा कि रियो ओलंपिक से पहले मानसिक पहलू पर सुधार करने के लिए चोटी की शटलर सायना नेहवाल और पीवी सिंधू को जल्द से जल्द खेल मनोवैज्ञानिक की सेवाएं लेनी शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि उनका मानना है कि ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने में इसकी भूमिका अहम होगी। प्रकाश ने एक साक्षात्कार में कहा कि मेरा मानना है कि ओलंपिक में मानसिक जज्बे की परीक्षा होती है। केवल महिला एकल ही नहीं बल्कि किसी भी खेल में जो भी मानसिक तौर पर मजबूत होगा वह स्वर्ण पदक जीतेगा। ओलंपिक अलग तरह की प्रतियोगिता है। आप अन्य टूर्नामेंटों में जीत दर्ज कर सकते हैं लेकिन अगर आप मानसिक रूप से मजबूत नहीं हैं तो आप कभी ओलंपिक में जीत दर्ज नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि मैं सिंधू और सायना को मानसिक पहलू पर थोड़ा ज्यादा गौर करने की सलाह दूंगा। अगर जरूरत पड़ी और वे सहज महसूस करती हैं तो कुछ खेल मनोचिकित्सकों की मदद ले सकती हैं। लेकिन उन्हें इसकी शुरुआत अभी करनी चाहिए क्योंकि खेलों से एक महीने पहले ऐसा करने से मदद नहीं मिलेगी। इसके लिए छह से आठ महीनों की जरूरत पड़ती है। पादुकोण ने कहा कि उनकी जगह अगर मैं होता तो निश्चित तौर पर खेल मनोविज्ञानी की मदद लेता। कुछ लोग इस पर विश्वास करते हैं और कुछ नहीं। मैं इस पर विश्वास करता हूं। आखिरकार ओलंपिक में आपके जज्बे की परीक्षा होती है।
इस पूर्व आल इंग्लैंड चैंपियन ने हालांकि रियो ओलंपिक में भारतीयों को लेकर भविष्यवाणी करने में सावधानी बरती। लेकिन उनका मानना है कि लंदन ओलंपिक खेलों की कांस्य पदक विजेता सायना और विश्व चैंपियनशिप में दो बार कांस्य पदक जीतने वाली सिंधू के पास अच्छे मौके हैं क्योंकि उन्होंने मौदूदा दौर की चोटी की सभी शटलर को हराया है। उन्होंने कहा कि हमारी अच्छी संभावना है विशेषकर महिला एकल में। दोनों शीर्ष खिलाड़ियों सायना और सिंधू ने चोटी की खिलाड़ियों को हराया है। बेशक यह आसान नहीं है क्योंकि उस समय सभी अपने खेल के चरम पर पहुंचने की कोशिश करेंगे। यह 32 खिलाड़ियों का ड्रा होगा और काफी कुछ ड्रा पर भी निर्भर करेगा।
इस पूर्व दिग्गज ने लंदन ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाले पारूपल्ली कश्यप सहित पुरुष वर्ग में भी संभावना को नहीं नकारा लेकिन उनका मानना है कि इन खिलाड़ियों की पहली प्राथमिकता रियो खेलों के लिए क्वालीफाई करना है। उन्होंने कहा कि इनमें क्षमता है लेकिन यह उनकी फिटनेस, उस समय अपने चरम पर पहुंचने और उनके आत्मविश्वास पर निर्भर करेगा। महिलाओं की तुलना में पुरुष एकल में स्थिति थोड़ी मुश्किल है क्योंकि उन्होंने सभी चोटी के खिलाड़ियों को नहीं हराया है। इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी संभावना नहीं है लेकिन यह कड़ा होगा।
पादुकोण ने कहा कि इसके लिए पहले उन्हें 30 अप्रैल की समयसीमा से पहले ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना होगा। एक या दो पुरुष खिलाड़ी क्वालीफाई कर सकते हैं। महिलाओं में यह मसला नहीं है। के श्रीकांत, कश्यप, प्रणय और अजय जयराम में से कोई क्वालीफाई कर सकता है। ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की महिला युगल जोड़ी के बारे में पादुकोण ने कहा कि इस जोड़ी के लिए पोडियम तक पहुंचना बहुत आसान नहीं होगा। अगर वे अपने खेल में आमूलचूल सुधार नहीं करतीं तो मैं यही कहूंगा कि उनकी संभावना कम है। उन्हें इन आठ महीनों में काफी कुछ प्रयास करने की जरूरत है। उन्हें अब काफी सहयोग मिल रहा है। ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट, लक्ष्य ओलंपिक पोडियम (टाप) कार्यक्रम से उन्हें सहयोग मिल रहा है। उनके पास विशेषज्ञ युगल कोच है।
पादुकोण ने कहा कि अब पूरी तरह से खिलाड़ियों पर निर्भर है। विशेषकर ज्वाला को अपनी शारीरिक पहलू पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। जब वह लय में होती है तो बड़ा अंतर पैदा कर सकती है। अगर वह शारीरिक तौर पर फिट रहती है तो वह अपने कद के कारण बड़ा अंतर पैदा करेगी। उन्होंने बड़े खिलाड़ियों को हराया है लेकिन हाल में नहीं। ऐसे में मुश्किल है लेकिन उनके लिए भी बाहरी मौके रहेंगे। हम इन तीन पदकों पर गौर कर सकते हैं। अगर हम पुरुष और मिश्रित युगल में पदक जीत सकते हैं तो यह बोनस होगा लेकिन यह अभी वास्तविकता से परे है।
उनका मानना है कि बैडमिंटन सहित भारत के अन्य खिलाड़ियों को अपनी प्रतिस्पर्धाओं के शुरू होने से एक सप्ताह पहले रियो भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मैं इंचार्ज होता तो मैं उन्हें दस दिन पहले भेज देता। कम से कम हफ्ते भर पहले तो जरूर। इससे उन्हें समय क्षेत्र से तालमेल बिठाने और लंबी उड़ान से उबरने में मदद मिलेगी। उम्मीद है कि खिलाड़ी दो-तीन दिन पहले नहीं जाएंगे।
पादुकोण ने कहा कि यह प्रतियोगिता चार साल में एक बार होती है और मैं नहीं चाहता कि इतना कुछ खर्च करने के बाद सरकार कुछ कंजूसी बरते। खिलाड़ियों को उनकी स्पर्धाओं से एक सप्ताह पहले भेजा जाना चाहिए। अगर वे चाहेंगे तो ओजीक्यू तीन चार दिन के ठहरने का खर्चा उठा देगा लेकिन उम्मीद है कि ऐसी नौबत नहीं आएगी और खेल मंत्रालय में कोई फैसला कर लेगा। मैं चाहूंगा कि हर कोई एक हफ्ते भर पहले वहां पहुंच जाए।