पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय हॉकी टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। लगातार दूसरे ओलंपिक में टीम ब्रॉन्ज मेडल जीती। ऐसे में शानदार जीत के साथ भारतीय हॉकी के दिग्गज गोलकीपर प्रीआर श्रीजेश ने संन्यास ले लिया था। पेरिस खेलों से पहले ही उन्होंने ऐलान कर दिया था कि वह संन्यास ले लेंगे। भारतीय हॉकी टीम से श्रीजेश अकेले विदा नहीं हुए हैं। उनके साथ उनकी 16 नंबर की जर्सी भी विदा हो गई।
सीनियर भारतीय हॉकी टीम से बुधवार (14 अगस्त) को जर्सी नंबर 16 को रिटायर कर दिया गया है। इसके साथ ही प्रीआर श्रीजेश को बड़ी जिम्मेदारी भी मिली है। उन्हें जूनियर टीम का कोच बनाया गया है। हॉकी इंडिया ने दिल्ली में एक इवेंट के दौरान बुधवार (14 अगस्त) को श्रीजेश की जर्सी को सीनियर टीम से रिटायर करने की घोषणा की।
जूनियर टीम के कोच होंगे श्रीजेश
हॉकी इंडिया के महासचिव भोलानाथ सिंह ने कहा, ” श्रीजेश अब जूनियर टीम के कोच बनने जा रहे हैं और हम सीनियर टीम के लिए नंबर 16 जर्सी को रिटायर कर रहे हैं। हम जूनियर टीम के लिए नंबर 16 को रिटायर नहीं कर रहे हैं। श्रीजेश दूसरा श्रीजेश को जूनियर टीम में तैयार करेगा।” पीआर श्रीजेश ने कहा कि तीन साल पहले टोक्यो में जीता गया कांस्य पदक पेरिस में जीते गए पदक के मुकाबले उनके दिल के ज्यादा करीब है, क्योंकि 2020 में भारत दशकों बाद पदक जीता था। उन्होंने पेरिस में पदक का रंग न बदल पाने को लेकर निराशा जताई। उन्हें लगता है कि टीम को बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए था।
पेरिस में गोल्ड न जीत पाने पर निराशा जताई
टोक्यो ओलंपिक से पहले भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल से कोई ओलंपिक पदक नहीं जीता था। पेरिस ओलंपिक में टीम के शीर्ष दो में रहने की उम्मीद थी, ऐसे में तीसरे स्थान पर रहना थोड़ा निराशाजनक रहा और श्रीजेश ने इससे सहमति जताई। उन्होंने कहा,” …इस बार, हमें उम्मीद थी कि हम नंबर 1 होंगे। मुझे लगता है कि स्वर्ण नहीं जीत पाना एक बड़ी निराशा है। स्वर्ण जीतना चाहिए था। बड़ा अंतर यह है कि वहां (टोक्यो में) मैं खुश था, लेकिन यहां मुझे ऐसा लगा…।” वह अपनी भावनाओं के शब्दों में बयां नहीं कर पाए।
वर्ल्ड कप न जीतने का मलाल
श्रीजेश पेरिस ओलंपिक समापन समारोह में भारतीय दल के ध्वजवाहक भी थे। यह कांस्य भारत का हॉकी में 13वां ओलंपिक पदक था। 1972 के बाद पहली बार भी हुआ जब देश ने हॉकी में लगातार दो पदक जीते। प्रीआर श्रीजेश ने कहा कि उन्हें वर्ल्ड कप न जीत पाने का भी मलाल रह गया। श्रीजेश ने 4 वर्ल्ड कप खेलें। इनमें से 3 की मेजबानी भारत ने की। एक भी वह जीत नहीं पाया।