पॉप सिंगर रिहाना ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का समर्थन किया है। इसके बाद पूर्व क्रिकेटर प्रज्ञान ओझा ने बारबाडोस में जन्मीं इस गायिका को दूसरों के अंदरुनी मामलों में अपनी नाक नहीं घुसेड़ने की चेतावनी दी थी। अब प्रज्ञान ओझा अपने ट्वीट को लेकर ट्रोल हो रहे हैं। सोशल मीडिया यूजर्स अक्षय कुमार के कनाडाई नागरिक होने का उदाहरण देकर उनसे सवाल कर रहे हैं।

रिहाना ने सीएनएन की एक खबर को री-ट्वीट करते हुए लिखा था, ‘हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं?’ उन्होंने ट्वीट में किसान आंदोलन के हैशटैग का भी इस्तेमाल किया था। रिहाना ने सीएनएन की जिस खबर का अपने ट्वीट में इस्तेमाल किया था, वह दिल्ली के आसपास के क्षेत्र में इंटरनेट बंद करने को लेकर है। रिहाना के बाद पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भी किसान आंदोलन के पक्ष में ट्वीट किया था। इसके बाद प्रज्ञान ओझा ने रिहाना को जवाब दिया था।

प्रज्ञान ओझा ने लिखा, ‘मेरे देश को हमारे किसानों पर गर्व है और पता है कि वे कितने जरूरी हैं। मुझे भरोसा है कि यह मामला जल्द ही सुलझ जाएगा। हमारे अंदरुनी मामलों में किसी बाहरी के नाक घुसेड़ने की जरूरत नहीं है।’ इस रीट्वीट पर कर्नाटक के पूर्व मंत्री एमआर सीताराम के बड़े बेटे रक्षा रमैया (@RakshaRamaiah) ने लिखा, ‘एक क्रिकेटर को राजनीति पर बातचीत करने की जरूरत नहीं है। क्या तुमने कभी किसानों को लेकर बात की!’ रक्षा रमैया खुद भी कांग्रेस की युवा इकाई से जुड़े हैं।

विपिन राठौर (@VipinRathaur) ने लिखा, ‘कनाडाई अक्षय बोल सकता है, यहां के लोग चीन, पाक, नेपाल पर बोल सकते है बस कोई और यहां की तानाशाही पर नहीं बोल सकता। ऐसी …. सोच ने तुम्हारा करियर खत्म किया।’ @SimplyAshokKr ने लिखा, ‘तुम्हारी पिच ऐसे खोद दी जाए और तुम्हारे रास्ते में ऐसे तीखे धारदार नुकेले सरिए बिछा दिए जाएं तो तुम्हें कैसा लगेगा क्रिकेटर बाबू?? और हां, भारत की मौजूदा सरकार और उसके भक्तगण, समर्थक तो किसानों को आतंकवादी एंव खालिस्तानी मानते हैं, किस गर्व की बात कर रहे हो?’

@NagraTalwinder ने लिखा, ‘तुम्हारे पापा ने भी दूसरों के अंदरुनी मामलों में अपनी टांग लड़ाई थी। अगर साथ देने की हिम्मत नहीं है…. तो साथ देने वालों पर … की तरह … भी नहीं।’ रिहाना के ट्वीट को लेकर बॉलीवुड बंटा दिखा। दिलजीत दोसांझ, फराह खान, स्वरा भास्कर जैसी हस्तियों ने जहां रिहाना का समर्थन किया, वहीं कंगना रनौत जैसी कुछ हस्तियों ने विरोध किया।

कंगना ने लिखा, ‘कोई इस बारे में बात नहीं कर रहा है, क्योंकि वे किसान नहीं, बल्कि आतंकी हैं जो भारत को बांटने की कोशिश कर रहे हैं ताकि चीन हमारे नाजुक टूटे हुए देश पर कब्जा कर ले और इसे अमेरिका की तरह एक चीनी कॉलोनी बना दे। बैठ जाओ मूर्ख, हम तुम बेवकूफों की तरह हमारे देश को बेच नहीं रहे हैं।’

क्या है विवाद: केंद्र सरकार ने साल 2020 में किसानों से जुड़े तीन बिल पास किए थे। उनमें कॉन्ट्रेक्ट खेती, कृषि उपज मंडियों से बाहर जाकर फसलों को बेचने जैसे प्रावधान किए गए हैं। किसान इनके विरोध में हैं। वे सरकार से इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इसी के चलते उनका प्रदर्शन चल रहा है। किसान दिल्ली की सीमा पर अलग-अलग जगह बैठे हैं। इसके तहत उत्तर प्रदेश से लगते गाजीपुर बॉर्डर, हरियाणा से लगते सिंघु और टिकरी बॉर्डर और राजस्थान से लगते शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलनरत हैं।