भारत की पैरा एथलीट प्रीति पाल ने पेरिस पैरालंपिक में इतिहास रच दिया। प्रीति ने इन खेलों के दूसरे दिन 100 मीटर T35 इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता। यह भारत का ट्रैक इवेंट में पहला पैरालंपिक मेडल है। ओलंपिक में भी कोई भारतीय आज तक ट्रैक इवेंट में मेडल नहीं जीत पाया है। इस मेडल के साथ ही भारत की मेडल संख्या तीन तक पहुंच गई।

अभी उनकी उम्र मात्र 22 साल ही है। अवनि पैरालंपिक में गोल्ड जीतने वाली भारत की पहली महिला हैं। वह पैरालंपिक में अब दो गोल्ड जीतने वाली भारत की पहली महिला बन गई हैं। इवेंट का गोल्ड और सिल्वर दोनों चीन के नाम रहा। चीन की जिया जो ने 13.58 के साथ गोल्ड मेडल जीता। वहीं गुय कियानकियान ने 13.74 सेकंड के समय के साथ सिल्वर मेडल अपने नाम किया।

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प्रीति का जन्म साल 2000 में हुआ था। पैदा होने के छह दिन बाद ही कमजोर पैर के कारण उसपर प्लास्टर लगाया गया था। उन्हें इश कारण कई परेशानियां हुई। महज 5 साल की उम्र में वह कैलिपर्स पहनती थीं। अगले 8 साल तक उनका जीवन ऐसा ही रहा।

17 साल की उम्र में उन्हें सोशल मीडिया के जरिए पैरालंपिक खेलों के बारे में पता चला। वह यह सपना पूरा करने दिल्ली आ गई जहां उनकी मुलाकात फातिमा खातून से हुई। उनकी मदद से प्रीति ने 100 और 200 मीटर के इवेंट में हिस्सा लेना शुरू किया।

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उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली प्रीति पाल ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में इतिहास रच दिया। (सोर्स- रायटर्स)

इसके बाद वह कोच गजेंद्र सिंह के साथ ट्रेनिंग करने साई के जेएलएन स्टेडियम में पहुंची। उन्होंने यहां अपने प्रदर्शन में काफी सुधार किया। वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दो मेडल जीता। उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया।