पाकिस्तान के पूर्व गेंदबाज शोएब अख्तर विकेट चटकाने का जश्न खास तरीके से मनाते थे। वह हमेशा अपनी बांहें फैलाकर पिच की ओर दौड़ते थे। लेकिन आप जानते हैं कि वह ऐसा किस वजह से करते थे। रावलपिंडी एक्सप्रेस ने खुद इस बात का खुलासा किया है। हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया पर इस मसले को लेकर पोस्ट किया।
शनिवार (30 जून) को अख्तर ने ट्वीट किया। बताया कि बचपन से ही फाइटर प्लेन के पायलट बनने की उनकी तमन्ना थी। वह जेट की तरह उड़ना चाहते थे, मगर वैसा कभी हुआ नहीं। ऐसे में उन्होंने फाइटर जेट प्लेन की नकल करना शुरू कर दिया। अख्तर विकेट चटकाने के बाद बांहें फैलाकर मैदान में जश्न मनाते थे। वह उस दौरान अपनी बाहों को जेट के पर समझते थे। कहानी की सीख यह है कि आप अपनी बाहें फैलाएं और जीवन को गले गला लें।
आपको बता दें कि अख्तर का नाम पाकिस्तान के अलावा दुनियाभर में तेज गेंदबाजी के लिए आज भी लिया जाता है। उनकी गेंद की रफ्तार बुलेट ट्रेन से कम नहीं होती थी। यही वजह है कि उनके नाम सबसे तेज गेंद फेंकने का विश्व रिकॉर्ड दर्ज है। साल 2003 में उन्होंने विश्व कप के दौरान इंग्लैंड के खिलाफ एक मुकाबले में 161.3 प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कराई थी।
रावलपिंडी एक्सप्रेस के 15 साल पुराने इस रिकॉर्ड को अभी तक कोई गेंदबाज नहीं तोड़ पाया है। वैसे दुनिया में कुछ गेंदबाज हैं, जिन्होंने अख्तर की गेंद की रफ्तार के इर्द-गिर्द पहुंचे, मगर वे उनकी बराबरी न कर सके और न ही रिकॉर्ड को चकनाचूर कर पाए। ऐसे गेंदबाजों में ऑस्ट्रेलिया के ब्रेट ली, शॉन टेट, मिशेल स्टार्क, श्रीलंका के लसिथ मलिंगा, न्यूजीलैंड के शेन बॉन्ड, दक्षिण अफ्रीका के डेल स्टेन सरीखे खिलाड़ियों के नाम हैं।
अख्तर का जन्म वहां के पंजाब प्रांत स्थित रावलपिंडी में हुआ था। यही कारण है कि उनका निकनेम रावलपिंडी एक्सप्रेस पड़ गया। जवानी के दिनों में वह मसल्स को मजबूत बनाने और तेज गेंदबाजी करने के लिए घर के पास पहाड़ों पर ईंट-पत्थर फेंकते थे, जबकि उनके दोस्त इस पर उनका मजाक बनाते थे और उन्हें पागल समझते थे।
