नरसिंह यादव भले ही पुरुष 74 किलोग्राम फ्रीस्टाइल में कोटा हासिल करने के बाद ओलंपिक में प्रतिनिधित्व करने के लिए अपना दावा कर रहे हों लेकिन लगातार दो ओलंपिक पदक जीतने वाले पहलवान सुशील कुमार ने मंगलवार (10 मई) को कहा कि वो सिर्फ रियो खेलों के लिए सर्वश्रेष्ठ पहलवान चुनने के मद्देनजर ट्रायल्स के लिए कह रहे हैं। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्लूएफआइ) को अभी फैसला करना है कि पुरुष 74 किलोग्राम फ्रीस्टाइल वर्ग में अनुभवी सुशील और नरसिंह के बीच ट्रायल्स कराना है या नहीं। सुशील ने कहा, ‘मैं सिर्फ ट्रायल्स के बारे में कह रहा हूं। मैं आपको मुझे रियो भेजने के लिए नहीं कह रहा हूं। मैं सिर्फ यही कह रहा हूं कि मेरे और नरसिंह में से जो भी बेहतर है, उसे ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना चाहिए। क्योंकि कोटा देश का होता है, किसी व्यक्ति विशेष का नहीं, इसलिए जब दो अच्छे दावेदार हैं तो एक उचित ट्रायल होना चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि मौजूदा विश्व और ओलंपिक चैंपियन जोर्डन बरोग को रियो ओलंपिक के लिए अमेरिकी टीम में जगह बनाने के लिए ट्रायल्स से गुजरना पड़ा। ऐसा हर जगह होता है।’ डब्लूएफटाइ ने अभी तक ट्रायल्स कराने पर फैसला नहीं किया है, इसलिए काफी अटकलें लगाई जा रही हैं। सुशील ने जोर दिया, ‘भारतीय खेल प्राधिकरण और सरकार ने मेरी तैयारियों में काफी पैसा खर्च किया है। यह सिर्फ मुझे खुद को साबित करने का मौका होगा कि मैंने इस तैयारी का पूरा इस्तेमाल किया है।’ वर्ष 2008 बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक और चार साल बाद लंदन खेलों में रजत पदक जीतने वाले सुशील ने कहा कि उनका काम रियो खेलों के लिए खुद को अच्छी तरह तैयार करना था, ट्रायल्स के बारे में सोचने का नहीं। 32 साल के सुशील ने कहा, ‘अगर मेरी तैयारी अच्छी नहीं होती तो मैं ट्रायल्स के लिए नहीं कहता। मैं इसके लिए इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैं पूरी तरह से फिट हूं और शीर्ष स्तर की तैयारी कर रहा हूं। अगर मैं रियो जाऊंगा तो मुझे अच्छा करने का पूरा भरोसा है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं पहले भी तीन ओलंपिक में जा चुका हूं और दो बार पदक भी जीत चुका हूं। मेरा एकमात्र लक्ष्य भारत के लिए एक और पदक जीतना है।’

नरसिंह ने पिछले साल लास वेगास में विश्व चैंपियनशिप में 74 किग्रा वर्ग में कांसा जीतकर भारत के लिए ओलंपिक कोटा हासिल किया था। इसके बाद से महाराष्ट्र का यह पहलवान अपने स्थान के लिए दावेदारी कर रहा है। लेकिन पूर्व विश्व चैंपियन सुशील ने कहा कि बीते समय में भी ऐसे समय में ट्रायल्स हो चुके हैं जब एक विशेष वजन वर्ग के लिए एक से ज्यादा दावेदार होते थे। सुशील ने कहा,‘ट्रायल्स बीते समय में भी होते थे। 1992 और 1996 ओलंपिक से भी पहले। पिछली बार कोई प्रतिस्पर्धा ही नहीं थी इसलिए ट्रायल्स नहीं हुए थे। पिछली बार मेरे वजन वर्ग में मुझे चुनौती देने वाला कोई नहीं था। लेकिन इस बार हालात अलग हैं।’ सुशील ने पुरुष 66 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में दो बार ओलंपिक पदक जीता है। लेकिन 74 किग्रा वर्ग में पहुंचने के बाद उन्होंने सिर्फ 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया है। इसमें उन्होंने सोने का तमगा हासिल किया था। इस समय वह सोनीपत में ट्रेनिंग कर रहे हैं।