ओलंपिक खेलने के लिए आतुर सुशील कुमार की उम्मीदों को बुधवार (18 मई) को फिर झटका लगा जब भारतीय कुश्ती महासंघ ने कड़े संकेत दिए कि वह कोटा हासिल करने वाले नरसिंह यादव के लगातार अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए ट्रायल कराए बिना उसे ही रियो ओलंपिक भेजेगा। दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश के मद्देनजर गठित डब्ल्यूएफआइ की विशेष समिति ने दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील के साथ आज मुलाकात की। मुलाकात का सबब यह तय करना था कि अगस्त में होने वाले रियो ओलंपिक की 74 किलो फ्रीस्टाइल स्पर्धा में सुशील और नरसिंह में से भारत का प्रतिनिधित्व कौन करेगा।
डब्ल्यूएफआइ अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने पत्रकारों से कहा कि सुशील ने समिति के सामने अपना पक्ष रखा और कहा कि वह शुरू ही से ट्रायल की मांग करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने उनसे कहा कि आपने भारतीय कुश्ती को नया मुकाम दिलाया है और आपके योगदान को कोई नहीं भूल सकता। हम सभी आपका सम्मान करते हैं। दूसरी ओर एक दूसरा पहलवान है जिसने ओलंपिक कोटा जीता है और लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। हम उसके साथ अन्याय कैसे कर सकते हैं। यह पूछने पर कि क्या अदालत ने महासंघ को अंतिम फैसला लेने को कहा है, बृजभूषण ने कहा कि महासंघ ने फैसला ले लिया है।
बैठक की अध्यक्षता बृजभूषण ने की जबकि इसमें सीनियर उपाध्यक्ष आइडी नानावटी, महासचिव और मुख्य कोच भी मौजूद थे। सुशील के ससुर और सरपरस्त सतपाल भी उपस्थित थे। बृजभूषण ने कहा कि यह दोस्ताना बैठक थी लिहाजा हमने सतपाल को भी इसमें शामिल होने की अनुमति दी। हमने सुशील और सतपाल का पक्ष सुना और महासंघ की दुविधा भी उनके सामने रखी। हमने कहा कि महासंघ सिर्फ एक पहलवान या एक भारवर्ग के लिए नहीं है। मैने सुशील से पूछा कि मेरी जगह वे होते तो क्या करते। यह पूछने पर कि क्या महासंघ सुशील की राय से संतुष्ट था, उन्होंने कहा कि संतुष्ट होने का कोई सवाल ही नहीं उठता। हमारी जो भी राय है, वह हम अदालत को अपने जवाब में बताएंगे।
नरसिंह ने आठ महीने पहले ही ओलंपिक कोटा हासिल कर लिया था, उसके बाद से सुशील और महासंघ के बीच संवादहीनता क्यों रही, यह पूछने पर उन्होंने कहा कि मैंने कभी सुशील या किसी और से नहीं कहा कि महासंघ ट्रायल का आयोजन करेगा। मीडिया ने जब भी मुझसे इस बारे में पूछा तो मैने हमेशा यही कहा कि इस बारे में बातचीत से पहलवानों की तैयारी पर असर पड़ेगा और यही वजह है कि मैंने कभी इस बारे में बात नहीं की। मैंने कहा कि जब फैसला लेने का समय आएगा तो हम फैसला लेंगे।

