ओलंपिक शुरू होने से 10 दिन पहले भारत को करारा झटका लगा जब 74 किलो फ्रीस्टाइल पहलवान नरसिंह यादव नाडा द्वारा कराये गए डोप टेस्ट में नाकाम रहे जिससे रियो ओलंपिक में उनकी भागीदारी भी खतरे में पड़ गई है। राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी के महानिदेशक नवीन अग्रवाल ने इसकी पुष्टि की कि नरसिंह के बी नमूने में भी प्रतिबंधित स्टेरायड के अंश पाये गए हैं। वह शनिवार को नाडा की अनुशासन पेनल के सामने पेश हुआ थे। नाडा डीजी ने कहा, ”नरसिंह को प्रतिबंधित स्टेरायड के सेवन का दोषी पाया गया है। उसका बी नमूना भी पाजीटिव निकला। जब उसका बी नमूना खोला गया तब वह खुद भी मौजूद था। वह कल अनुशासन पेनल के सामने पेश हुआ। पेनल ने इस मसले पर और रिपोर्ट मांगी है। मुझे उम्मीद है कि पेनल जल्दी कार्रवाई करेगी। हमें तब तक इंतजार करना होगा।”

यह पूछने पर कि क्या नरसिंह रियो ओलंपिक नहीं खेल सकेगा, अग्रवाल ने कहा ,”अभी कुछ कहना कठिन है। हम जल्दी ही प्रक्रिया पूरी करने की कोशिश करेंगे। मैं अभी कोई कयास नहीं लगा सकता।” रियो ओलंपिक के लिये नरसिंह का चयन विवादित हालात में हुआ था क्योंकि ओलंपिक दोहरे पदक विजेता सुशील ने 74 किलो वर्ग में दावेदारी ठोकी थी। नरसिंह ने चूंकि विश्व चैम्पियनशिप के जरिये कोटा हासिल किया था तो उसे तरजीह दी गई। इसके लिये हालांकि उसे लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी ।

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खेल मंत्रालय ने भी इसकी पुष्टि की कि एक पहलवान डोप टेस्ट में नाकाम रहा है हालांकि इसने यादव का नाम नहीं लिया। मंत्रालय ने कहा, ”एक पहलवान को राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी ने डोप टेस्ट में पाजीटिव पाया है। नाडा की डोपिंग निरोधक अनुशासन पेनल मामले की सुनवाई कर रही है। कल इसकी पहली सुनवाई हुई जिसके तहत पहलवान को अपने बचाव का मौका दिया जायेगा।”

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इसमें कहा गया, ”सुनवाई के बाद पेनल ने नाडा से कुछ और रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट मिलने पर आगे सुनवाई की जायेगी। एडीडीपी के अध्यक्ष कानून विशेषज्ञ हैं जिसमें डाक्टर और खिलाड़ी भी शामिल है। नाडा युवा कार्य और खेल मंत्रालय के तहत स्वायत्त इकाई है जो खेलों में डोपिंग की जांच करती है। भारत विश्व डोपिंग निरोधक आचार संहिता को लेकर प्रतिबद्ध है और प्रक्रिया का पालन करता है। सरकार नाडा के दैनंदिनी काम में दखल नहीं देती और डोपिंग से जुड़े मामलों में पूरी पारदर्शिता तथा निष्पक्षता बरतती है।’