हर्षदा शरद गरुड ने सोमवार को यूनान के हेराकलियोन में इंटरनेशनल वेटलिफ्टिंग फेडरेशन की जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच डाला। वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय वेटलिफ्टर बनीं। उनका यह तक का सफर का उतार चढ़ाव भरा रहा है। हर्षदा को आज भी वह दिन याद है जब उन्होंने मजाक में चावल की 50 किलो की बोरी पीठ पर लाद ली थी। तब बह सिर्फ 12 साल की थीं और 12वीं में पढ़ती थीं। उन्होंने पुणे के बड़गांव में अपने पिता को इसी तरह बोरी उठाकर संघर्ष करते हुए देखा है।
हर्षदा ने उस वाक्ये को याद करते हुए कहा कि उन्होंने तब वेटलिफ्टिंग में करियर बनाने के बारे में नहीं सोचा था। महिला 45 किग्रा वर्ग में 18 साल की हर्षदा ने कुल 153 किग्रा (70 किग्रा और 83 किग्रा) वजन उठाकर स्वर्ण पदक जीता और प्रतियोगिता के पहले ही दिन भारत के पदक का खाता खोला। हर्षदा ने स्नैच में 70 किग्रा के प्रयास के साथ स्वर्ण पदक पक्का किया जबकि क्लीन एवं जर्क के बाद वह तुर्की की बेकतास कान्सु (85 किग्रा) के बाद दूसरे स्थान पर चल रहीं थी। बेकतास ने कुल 150 किग्रा (65 किग्रा और 85 किग्रा) वजन उठाकर रजत पदक जीता।
गोल्ड मेडल जीतने के बाद हर्षदा ने कहा कि उन्हें उम्मीद की वह मेडल जीतेगीं, लेकिन गोल्ड जीतना बहुत बड़ी बात है। हर्षदा को उनके पिता और उनके मामा ने भारोत्तोलन करने के लिए प्रोत्साहित कियाय़ दोनों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के सपने देखे, लेकिन इसे कभी पूरा नहीं कर सके। पुणे के पास स्थित बड़गाव अब नगर पंचायत बन गया है। यह मनमाड, सांगली और कोल्हापुर के अलावा महाराष्ट्र के भारोत्तोलन केंद्रों में से एक है। 73 वर्षीय बिहारीलाल दुबे ने यहां इसकी नींव रखी थी। उन्होंने 1972 में यहां छोटा सा व्यायामशाला ( gymnasiums ) स्थापित की थी।
हर्षदा का नाम दुबे की बहू के नाम पर रखा गया, जिसके साथ किशोर उनके पिता शरद ट्रेनिंग करते थे। उनको आज भी वह दिन याद है ज जब उनके साथी ने क्रॉस-कंट्री गोल्ड जीता था। पंचायत जल निर्माण विभाग में कार्यरत शरद ने कहा, “मैं उस दिन प्रेरित हुआ और मैंने फैसला किया कि मेरे पहले बच्चे का नाम हर्षदा के नाम पर रखा जाएगा। इसलिए जब मेरी बेटी का जन्म हुआ तो मैं बहुत खुश था। और उसके जन्म से पहले ही यह तय हो गया था कि वह एक भारोत्तोलक होगी, जो भारत का प्रतिनिधित्व करेगी।”
शरद आगे कहते हैं, “शुक्र है कि मेरी बेटी को पढ़ाई से नफरत थी, नहीं तो वह किताबों में फंस जाती। जिस दिन उसने 50 किलो चावल की बोरी उठाई, मैंने अपना सपना पूरा करने के लिए उसे भारोत्तोलन में डाल दिया।” परिवार के अनुसार स्टार वेटलिफ्टर काफी जिद्दी है। पिता ने बताया, ” एक हर्षदा के शिक्षक ने कहा कि वह पास होने के लिे जरूरी कम से कम 35 प्रतिशत मंबर भी नहीं हासिल कर पाएगी। वह फर्स्ट क्लास से पास हुई और पेड़ा लेकर शिखक के पास पहुंची और कहा कि ऐसा किसी भी छात्र से न कहें। ” हर्षदा खूब बातचीत करती हैं। इस वजह से उन्हें रेडियो भी कहा जाता है। उन्होंने शिक्षक वाले वाक्ये पर कहा,”शिक्षक मुझे चुनौती देते रहे, तो मैंने उनसे कहा, अब मीठाई खाओ और मेरे लिए कही बात खा जाइए।”