भारतीय टीम के तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट्स से संन्साय ले लिया है। उन्होंने देश के लिए लगभग 13 साल क्रिकेट खेला। पर अब से वह गेंदबाजी कोच की भूमिका में नजर आएंगे और सिर्फ कंपनी क्रिकेट में ऑइल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) की टीम से खेलेंगे।
उन्होंने बताया, “मुझे किसी चीज का पछतावा नहीं है। दिल से खेला। दिल से गेंदबाजी कराई। उत्तर प्रदेश के ढेर सारे गेंदबाज हैं, जो पीछे इंतजार कर रहे हैं। मैं उनका करियर प्रभावित नहीं होने देना चाहता हूं। मैं खेलूंगा, तो एक जगह जाएगी। बाकी के खिलाड़ियों के भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए। मेरा समय (खेल का) पूरा हो चुका है और मैंने उसे स्वीकार लिया है। मैं बेहद खुश हूं और ईश्वर का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे यह मौका दिया।”
यह पूछे जाने पर कि वह आगे क्या करेंगे? कुमार का जवाब था, “मैं गेंदबाजी का कोच बनना चाहता हूं। लोग जानते हैं कि मैं इस चीज का जानकार हूं। मुझे लगता है कि मैं इसमें दिल से काम करूंगा और बाकी नए युवाओं से अपना अनुभव साझा करूंगा।”
प्रवीण मूलरूप से उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले रहने वाले हैं और अंडरवर्ड पर किताबें लिख चुके लेखक हुसैन जैदी के बड़े फैन हैं। उन्होंने भारतीय टीम के लिए साल 2007 में अपना डेब्यू किया, जबकि उन्होंने देश के लिए आखिरी मुकाबला 2012 में खेला। छह टेस्ट में उनके नाम 27 विकेट दर्ज हैं, जिसमें पांच उन्होंने इंग्लैंड के लॉर्ड्स में झटके थे। उस टूर पर भारत के मुख्य गेंदबाज होने के बाद भी उन्होंने दोबारा टेस्ट मैच नहीं खेला।
अगले साल वह चोट के कारण 2011 विश्व कप का हिस्सा न बन पाए। हालांकि, इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के जरिए उन्होंने खेल में अपनी वापसी की थी। पूर्व क्रिकेट और खेल जानकार मनोज प्रभाकर उन्हें जादूगर (गेंदबाजी का) तक बता चुके हैं।
कुमार ने आगे कहा, “मैं संन्यास का फैसला ले चुका हूं। मैंने जल्दबाजी में यह फैसला नहीं लिया है। मैं इस पर काफी विचार किया और उसके बाद जब मुझे लगा कि यह सही फैसला है, तब मैंने इसे अलविदा कहने की ठानी। मैं अपने परिवार, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई), उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) और राजीव शुक्ला सर का तहे दिल से धन्यवाद अदा करता हूं, क्योंकि इन्हीं लोगों ने मुझे सपने पूरे करने के लिए मौके दिए।”