पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत को छह मेडल हासिल किए। इसमें से केवल एक ही मेडल रेसलिंग में आया। भारत के युवा रेसलर अमन सेहरावत ने 57 किलोग्राम वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता। विनेश फोगाट 50 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में पहुंचीं। इनके अलावा कोई भी पहलवान कुछ खास नहीं कर पाया। रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष संजय सिंह ने इस प्रदर्शन का कारण पिछले साल हुए धरने को बताया।

टोक्यो में मिले थे दो मेडल

भारत ने टोक्यो ओलंपिक में रेसलिंग में दो मेडल हासिल किए थे। रवि दहिया ने 57 किलोग्राम वर्ग में सिल्वर मेडल हासिल किया था। वहीं बजरंग पूनिया ब्रॉन्ज मेडल लेकर आए थे। पिछले पांच ओलंपिक से भारत को रेसलिंग में मेडल मिल रहे हैं।

बीते साल भारत के ओलंपिक मेडलिस्ट साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे थे। उन्होंने बृजभूषण पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। यह धरना एक महीने से ज्यादा समय तक चला। इस धरने के बाद रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का काम देखने के लिए एड हॉक समिति बनाई गई थी। इस समिति ने रेसलिंग फेडरेशन पर बैन लगने के दौरान भी ट्रायल्स का आयोजन कराया।

धरने के कारण कुश्ती पर पड़ा असर

संजय सिंह ने मीडिया संस्थान से कहा, ‘अगर आप इसको अलग एंगल से देखेंगो तो आपको समझ आएगा कि यह धरना 14-15 महीने चला। भारत का पूरी कुश्ती का वातावरण हिल गया। एक कैटेगरी को छोड़ थे तो बाकी सभी कैटेगरी के खिलाड़ियों को संघर्ष करना पड़ा। नेशनल और इंटरनेशल टूर्नामेंट न होने के कारण वह अभ्यास नहीं कर पाए। इसी कारण हमारे पहलवान अच्छा नहीं कर पाए।’

विनेश फोगाट भी धरने करने वालों में पहलवानों में शामिल थीं। हालांकि वह 50 किलोग्राम वर्ग में देश के लिए कोटा लाईं और फिर पेरिस गई। पेरिस ओलंपिक में वह फाइनल में पहुंचीं। हालांकि उन्हें फाइनल मैच से पहले डिस्क्वालिफाई कर दिया।