टोक्यो ओलिंपिक 2021 में क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली तलवारबाज सीए भवानी देवी चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार हैं। भवानी देवी ने स्कूल के दिनों में मजबूरी में इस खेल का चयन किया था क्योंकि उनके पास इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं था। शौर्य और सफलता की नयी कहानी लिख चुकी यह वीरांगना अब अब तोक्यो में शानदार प्रदर्शन करके भारतीय ओलंपिक के इतिहास का एक सुनहरा पन्ना लिखना चाहेंगी।
कई युवा भारतीय क्रिकेटरों की तरह भवानी देवी की ज़िंदगी में भी राहुल द्रविड़ की अहम भूमिका है। दरअसल अपने करियर के शुरुआती वर्षों में भवानी देवी को कोई स्पोंसर नहीं मिल रहा था। पैसों की तंगी के चलते उन्हें काफी दिक्कत जा रही थी। उनके उपकरणों, यात्रा और कोच की फीस के लिए उन्हें एक अच्छे स्पोंसर की जरूरत थी। तभी ‘गो स्पोर्ट्स फाउंडेशन’ द्वारा राहुल द्रविड़ एथलीट मेंटरशिप प्रोग्राम के जारिए उन्हें स्पोंसर मिल गया और उनकी आधी परेशानियां खत्म हो गई।
यह द्रविड़ ही थे जिन्होंने गोस्पोर्ट्स टीम को उन खेलों को चुनने के लिए कहा था जो मेनस्ट्रीम नहीं हैं और जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा लड़कियां खेलती हैं। जिसके बाद गोस्पोर्ट्स ने जिमनास्ट दीपा करमाकर और भवानी को उस मेंटरशिप प्रोग्राम के हिस्से के रूप में चुन लिया।
स्पोंसर मिलते ही वह ट्रेनिंग के लिए इटली चली गईं। पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद भवानी देवी ने भारत के लिए तलवारबाज में ओलिंपिक कोटा हासिल किया और अपना सपना साकार किया। चेन्नई की 27 साल की यह खिलाड़ी इतिहास रचने के बाद पिछले कुछ समय से इटली में इन खेलों के लिए अभ्यास कर रही थी, जहां से वह सकारात्मक सोच के साथ टोक्यो के लिए रवाना हो गयी है।
भवानी ने कहा, “मैंने अच्छे से अभ्यास किया है। मैं कड़ी मेहनत कर रही हूं और अपने पहले ओलंपिक खेलों के लिए अच्छी तैयारी कर रही हूं। मैंने इटली की राष्ट्रीय टीम के साथ कुछ शिविरों में भाग लिया जहाँ कुछ अन्य अंतरराष्ट्रीय तलवारबाज भी मौजूद थे। मैंने इससे पहले फ्रांस में भी अभ्यास किया है।”
भवानी ने सोमवार को इटली के हवाई अड्डे से अपनी तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि टोक्यो ओलंपिक के लिए उड़ान भरने के लिए तैयार हूं। उन्होंने कहा कि ओलंपिक में मुकाबला काफी चुनौतीपूर्ण होगा। उन्होंने कहा, ‘‘ ओलंपिक एक बहुत ही खास प्रतियोगिता है और सभी एथलीटों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए हर मैच कठिन होने वाला है और कुछ भी संभव है।’’
कोविड-19 महामारी से ओलंपिक के टलने के कारण उनके खेल पर पड़े प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ शुरुआत में हमें टूर्नामेंटों और ओलंपिक को लेकर बहुत भ्रम था।” उन्होंने कहा, ‘‘मैं बाद में स्थिति को समझ गयी और प्रतियोगिताओं के शुरू होने पर पूरी तरह से तैयार रहना चाहती थी। इसलिए मैंने घर में और छत पर अभ्यास करती थी। हम लॉकडाउन के दौरान किसी तरह तैयारी करने में कामयाब रहे और एक बार जब मैं इटली वापस आयी, तो मैंने अपनी पूरी ट्रेनिंग शुरू कर दी।”
उन्होंने कहा कि इटली के कोच निकोला जानोटी के साथ प्रशिक्षण ने उनके प्रदर्शन और रैंकिंग में सुधार करने में मदद की। उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे कोच भी तोक्यो जाएंगे। उनके साथ अभ्यास करने से मुझे मेरी रैंकिंग और प्रदर्शन में सुधार करने में मदद मिली। हमने लगातार एक साथ अच्छा काम किया और ओलंपिक क्वालीफिकेशन उसी का परिणाम है।
उन्होंने बताया कि तोक्यो में उनकी मां सीए रमानी भी उनके साथ रहेंगे जिससे उनका हौसला बढ़ेगा। रमानी को भारत की तलवारबाजी दल में नामित किया गया है और उन्हें पी-टीएपी (व्यक्तिगत-प्रशिक्षण सहायता कार्यक्रम) के रूप में मान्यता दी गयी है।
तलवारबाजी से जुड़ने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि स्कूल में उस समय उनके पास कोई और विकल्प नहीं था। उन्होंने बताया, ‘‘ स्कूल में तलवारबाजी सहित छह खेलों के विकल्प थे। जब मेरा नामांकन हुआ तब तक अन्य खेलों में सभी जगह भर चुके थे। मेरे पास तलवारबाजी को चुनने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। यह एक ऐसा खेल था जिसके बारे में बहुत से लोग ज्यादा नहीं जानते थे और मैंने गंभीरता से इसमें अपना हाथ आजमाने का फैसला किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि मैंने ऐसा किया क्योंकि अब मैं इससे प्यार करती हूं।’’

