म्यूनिख में 1972 में खेले गए ओलंपिक खेलों की कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के सदस्य और दिग्गज टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस के पिता डॉ. वेस पेस का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण गुरुवार 14 अगस्त की सुबह कोलकाता में निधन हो गया। वह 80 वर्ष के थे। वेस पेस पार्किंसन रोग से पीड़ित थे। उन्हें मंगलवार 12 अगस्त की सुबह वुडलैंड्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वेस पेस का अंतिम संस्कार सोमवार या मंगलवार को किया जाएगा क्योंकि परिवार उनकी दोनों बेटियों के आने का इंतजार करेगा, जो विदेश में रहती हैं। वेस पेस का विवाह जेनिफर से हुआ था।

वह भारतीय बास्केटबॉल खिलाड़ी थीं और राष्ट्रीय टीम की कप्तान भी रह चुकी थीं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी वेस पेस विभिन्न भूमिकाओं में लंबे समय तक भारतीय खेलों से जुड़े रहे। वह भारतीय हॉकी टीम में मिडफील्डर थे। उन्होंने फुटबॉल, क्रिकेट और रग्बी जैसे खेल भी खेले और 1996 से 2002 तक भारतीय रग्बी फुटबॉल संघ के अध्यक्ष भी रहे। अप्रैल 1945 में गोवा में जन्में पेस खेल और शिक्षा दोनों में असाधारण थे और हॉकी में सफल होने के बाद वे खेल चिकित्सा के चिकित्सक बन गए।

वेस पेस ने एशियाई क्रिकेट परिषद, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और भारतीय डेविस कप टीम सहित कई खेल निकायों के साथ सलाहकार के रूप में काम किया। वेस पेस उस भारतीय हॉकी टीम के भी सदस्य थे जिसने 1971 में बार्सिलोना में विश्व कप में कांस्य पदक जीता था, लेकिन उसके एक साल बाद मिला ओलंपिक पदक उनके करियर का सबसे महत्वपूर्ण पल था। ओलंपिक खेल 1972 को फिलिस्तीन के एक उग्रवादी समूह द्वारा 11 इजरायली खिलाड़ियों की हत्या के लिए भी दुखद रूप से याद किया जाता है, जिसके कारण इस खेल को 4 दिनों के लिए बंद करना पड़ा था।

हॉकी करियर को अलविदा कहने के बाद वेस पेस एक दशक तक भारतीय डेविस कप टीम के टीम डॉक्टर और लिएंडर पेस के मैनेजर भी रहे। लिएंडर पेस ने पिता के कहने पर ही टेनिस में कदम रखा था। लिएंडर ने भारतीय खेलों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और 18 ग्रैंड स्लैम खिताब जीतकर देश के इतिहास में सबसे सफल टेनिस खिलाड़ी बने। लिएंडर के 18 ग्रैंड स्लैम खिताब में आठ पुरुष युगल और 10 मिश्रित युगल खिताब शामिल हैं। लिएंडर ने 1996 के अटलांटा ओलंपिक में पुरुष एकल का कांस्य पदक भी जीता।

इस प्रकार लिएंडर पेस ने हर चार साल में होने वाले इन खेलों में पदक जीतने की पारिवारिक परंपरा को जीवित रखा। लिएंडर अंतरराष्ट्रीय टेनिस हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले पहले एशियाई पुरुष टेनिस खिलाड़ी भी हैं। हॉकी इंडिया के अध्यक्ष और पूर्व डिफेंडर दिलीप टिर्की ने कहा कि पेस सीनियर के निधन से देश में खेल का एक युग समाप्त हो गया है।

उन्होंने कहा, ‘हॉकी इंडिया के लिए यह एक दुखद दिन है। डॉ. पेस के निधन से हॉकी के एक युग का अंत हो गया है। म्यूनिख में जीता गया ओलंपिक पदक उनके धैर्य और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। मुझे उनसे कई बार मिलने का सौभाग्य मिला और मैं हमेशा खेलों के प्रति उनके जुनून से प्रेरित रहा। वह देश में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के प्रबल समर्थक थे।’

दिलीप टिर्की ने कहा, ‘हॉकी इंडिया की तरफ से हम उनकी पत्नी जेनिफर, बेटे लिएंडर और उनके पूरे परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। हम दुःख इस घड़ी में उनके साथ हैं।’ वेस पेस 70 और 80 के दशक में कोलकाता की फुटबॉल दिग्गज मोहन बागान और मोहम्मडन स्पोर्टिंग की हॉकी टीमों के लिए भी खेले। उन्होंने ईस्ट बंगाल के तत्कालीन कोच सुभाष भौमिक के आग्रह पर ईस्ट बंगाल फुटबॉल टीम और बाईचुंग भूटिया जैसे खिलाड़ियों के साथ भी काम किया।

भारतीय टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने कहा कि भारतीय खेलों में वेस पेस का योगदान अतुलनीय है और वह हमेशा मदद के लिए तैयार रहते थे। सानिया ने कहा, ‘मैं डॉ. वेस पेस को पिछले कई वर्षों से जानती थी। वह 2002 के बुसान एशियाई खेलों में भारतीय टीम के डॉक्टर थे। उन्होंने वर्षों तक एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और ओलंपिक में राष्ट्रीय टीम के साथ नियमित रूप से काम किया। स्वयं अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी होने के कारण वह पेशेवर खिलाड़ियों की मानसिकता को अच्छी तरह से समझते थे।’

छह ग्रैंड स्लैम जीतने वालीं सानिया मिर्जा ने कहा, ‘एक भद्रजन जिन्हें भारतीय होने पर गर्व था। वेस अंकल को न केवल टेनिस खिलाड़ी, बल्कि हमारे देश का पूरा खेल जगत बहुत याद करेगा। ईश्वर लिएंडर और उनके परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।’