स्टार भारतीय पहलवान विनेश फोगट ने शुक्रवार को कहा कि उनके पास टोक्यो ओलंपिक में मिली हार पर आंसू बहाने के लिए ज्यादा समय नहीं है। वह भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हैं। वहीं, युवा महिला पहलवान अंशु मलिक ने टीम के साथ एक स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट रखने का सुझाव दिया। इसके पीछे अंशु का तर्क है कि इससे ओलंपिक जैसे बड़ी प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों के नर्वस होने पर काबू पाने में मदद मिलेगी।
विनेश ने टाटा मोटर्स और रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। विनेश समेत अन्य दो रेसलर्स को कुश्ती महासंघ से राहत मिली है। महासंघ ने विनेश फोगाट के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई को खत्म करने का फैसला किया। अब विनेश दोबारा से भारत के लिए खेलना जारी रख सकती हैं। उनके पास वर्ल्ड चैंपियनशिप में जगह बनाने का मौका भी है। हालांकि, महासंघ विनेश के जवाब से खुश नहीं है।
महासंघ का कहना है कि विनेश फोगाट और बाकी दो अन्य रेसलर्स का जवाब संतोषजनक नहीं था, लेकिन हम उन्हें दूसरा मौका देना चाहते हैं। फेडरेशन ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि विनेश ने अगर भविष्य में कोई और गलती की तो उन पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
कार्यक्रम में जब विनेश से टोक्यो में उनके अनुभव के बारे में पूछा गया तो वह बोलीं कि उन्होंने बहुत कुछ सीखा। टोक्यो ओलंपिक में विनेश क्वार्टर फाइनल में हारकर पदक की दौड़ से बाहर हो गईं थीं। विनेश फोगाट ने कहा, ‘यह मेरा दूसरा ओलंपिक था। अपने पहले ओलंपिक में मैं चोटिल हो गई थी। इस बार मुझे हार का सामना करना पड़ा। मैंने इसे स्वीकार किया। अब मैं आगामी प्रतियोगिताओं से पहले अपनी कमजोरियों पर काम करूंगीं।’
उन्होंने कहा, ‘सीनियर स्तर पर हमारे पास हार पर शोक मनाने के लिए समय नहीं है, क्योंकि अगला ओलंपिक निकट आ रहा है और भी बैक-टू-बैक प्रतियोगिताएं हैं। शीर्ष पर पहुंचना एक बात है लेकिन शीर्ष पर बने रहना चुनौतीपूर्ण है।’
हरियाणा के बलाली गांव की रहने वाली 26 साल की विनेश फोगाट ने कहा कि टोक्यो में उन्होंने अपने जूनियर्स से भी सीखा। उन्होंने कहा, ‘हम (अंशु और सोनम) इस बार एक साथ गए। मेरी इच्छा है कि हम अगली बार सभी वेट कैटेगरी में क्वालिफाई करें और ओलंपिक, विश्व चैंपियनिशप और राष्ट्रमंडल और अन्य चैंपियनशिप में अपना सर्वश्रेष्ठ दें।’
जूनियर रैंकिंग में तेजी से आगे बढ़ रहीं प्रतिभाशाली अंशु मलिक से जब यह पूछा गया कि ऐसा क्या है जिससे उन्हें लगता है कि टीम के लिए आवश्यक है, तो निदानी की इस 19 साल की पहलवान ने एक मनोवैज्ञानिक की सेवाओं का उल्लेख किया।
अंशु मलिक ने कहा, ‘पहले की तुलना में अब बहुत सारी सुविधाएं हैं, लेकिन कभी-कभी आप घबरा जाते है। जैसे ओलंपिक एक बड़ा मंच है। अगर कोई मनोवैज्ञानिक की तरह हमारे साथ बातचीत कर सकता है, तो यह बेहतर होगा।’ यह सुनकर डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने भी स्वीकार किया कि भारतीय टीम को हर समय दो मनोवैज्ञानिकों के साथ यात्रा करने की जरूरत है।
