कोविड 19 महामारी के कारण स्थगित ओलंपिक के आयोजन को लेकर तारीखों की घोषणा कर दी गई है। तोक्यो ओलंपिक अब अगले साल 23 जुलाई से आठ अगस्त तक आयोजित किए जाएंगे। इस साल इसे 24 जुलाई से नौ अगस्त के बीच कराया जाना था। इसे लेकर सभी देशों ने तैयारियां भी शुरू कर दी थी। कई क्वालीफायर भी हो चुके थे। इनमें भारत के खाते में 41 कोटा आए थे। इससे यह पक्का हो गया कि लगभग 80 खिलाड़ी ओलंपिक में भारत का झंडा लहराने के लिए तैयार हैं। हालांकि कोरोना महामारी के कारण एथलीटों की तैयारी और व्यवस्था पर सरकार को ज्यादा खर्च करना होगा।
बता दें कि फरवरी तक भारत के खाते में 31 कोटे थे लेकिन मुक्केबाजों के धमाकेदार प्रदर्शन ने अचानक ही इसकी संख्या बढ़ा दी। भारतीय खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन ने यह भी साबित किया कि भारत सरकार ने जिस उद्देश्य के साथ टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) की शुरुआत की थी, उसमें वह सफल हो रही है।
दरअसल, 2016 के रियो ओलंपिक में भारत ने 117 खिलाड़ियों का बड़ा दल भेजा था। इनमें 63 पुरुष और 54 महिलाएं शामिल थे। यह ओलंपिक इतिहास में भारत का सबसे बड़ा दल था। पूरे देश को उम्मीद थी कि पदकों की संख्या लंदन से बेहतर होगी। लेकिन हुआ इसके उलट। भारत के खाते में सिर्फ दो पदक आए। ओलंपिक में इस प्रदर्शन के बाद सरकार ने भारत को खेल महाशक्ति बनाने की दिशा में कई अहम कदम उठाए। इसमें से एक टॉप्स है। इस योजना के तहत सरकार हर उस खिलाड़ी को सवारने का काम करती है जिसके भीतर प्रतिभा और क्षमता हो। इस योजना ने खिलाड़ियों को आर्थिक मोर्चे पर मजबूत किया और उन्हें सिर्फ खेल में ध्यान लगाने में मदद की। अब इसका फायदा भी दिखने लगा है।
आरटीआइ के तहत मिली जानकारी के मुताबिक 2016 से जनवरी 2020 तक टॉप्स के तहत लगभग 56 करोड़ रुपए खिलाड़ियों पर खर्च किए गए। इसमें तीरंदाजी से लेकर जूडो तक के खिलाड़ी शामिल हैं। नौ ओलंपिक कोटा हासिल कर इतिहास रचने वाले मुुक्केबाजों पर सरकार ने 2016 से जनवरी 2020 तक लगभग तीन करोड़ एक लाख 85 हजार रुपए खर्च किए। एथलीटों को संवराने पर सरकार ने छह करोड़ 30 लाख के करीब खर्च किए। वहीं निशानेबाजी पर सबसे ज्यादा खर्च किया गया। निशानेबाजों को ओलंपिक तैयारी के लिए 11 करोड़ 68 लाख के करीब रुपए दिए गए। इसका फायदा भी खूब दिखा। तोक्यो ओलंपिक में अब के रेकार्ड 15 निशानेबाज अपना हुनर दिखाएंगे। यह संख्या 2016 के रियो ओलंपिक के मुकाबले तीन अधिक है। यही नहीं खेलों के इस महाकुंभ में रैंकिंग के आधार पर भी कई निशानेबाज हिस्सा ले सकते हैं।
भारतीय निशानेबाज में बीते कुछ सालों में आश्चर्यजनक तौर पर वृद्धि देखने को मिला है। देश के कई युवा ने सर्वोच्च स्तर पर प्रदर्शन करते हुए विश्व कप, राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीते हैं।
इसके अलावा पहलवानों को भी दांव-पेच सिखाने में सरकार ने कोई कमी नहीं की। उन्हें पांच करोड़ 25 लाख रुपए दिए गए। बात विनेश फोगाट की हो या बजरंग पूनिया की या फिर रवि कुमार दहिया की, इन सभी पहलवानों का प्रदर्शन बीते समय में काफी अच्छा रहा है। टॉप्स के माध्यम से सरकार ने भी इनकी मदद की और प्रशिक्षण में कहीं कोई कमी नहीं रहने दी। इसके अलावा भी कई खेलों के खिलाड़ियों को इस योजना के तहत फायदा पहुंचाया जा रहा है ताकि वो ओलंपिक के अपने सपने को साकार कर सकें।
आरटीआइ में दिए जवाब के मुताबिक इस वक्त टॉप्स योजना के तहत 94 खिलाड़ियों को मदद दी जा रही है। इसका फायदा भी दिखने लगा है। जिन 71 लोगों ने ओलंपिक कोटा हासिल किया है उनमें से ज्यादातर खिलाड़ी टॉप्स में शामिल हैं। मसलन, भालाफेंक एथलीट नीरज चोपड़ा, तीन हजार मीटर स्टीपलचेज अविनाश साबले और 400 मीटर रिले टीम में मोहम्मद अनस। वहीं टॉप्स में शामिल निशानेबाजों ने तो झंडा ही फंहराया। इस योजना में शामिल 17 निशानेबाजों में से 15 ने कोटा हासिल किया। मुक्केबाजी में टॉप्स के नौ में से पांच ने कोटा हासिल किया। यह खेलों में भारत के बढ़ती ताकत ही नमूना है।

