भारत में 29 अगस्त को खेल दिवस मनाया जाता है। 29 अगस्त भारत के दिग्गज हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद की जयंती है। ध्यानचंद ने अपने हॉकी करियर में अपार सफलता हासिल की। उन्हें इस खेल का जादूगर कहा जाता है। चाहे बात ओलंपिक मेडल्स की हो, गोल करने की या देश के रक्षा करने की, ध्यानचंद ने हर रोल बखूबी निभाया।
ध्यानचंद के नाम 3 ओलंपिक मेडल
ध्यानचंद ने 1926 से 1949 तक देश के लिए हॉकी खेली। उनके नाम तीन ओलंपिक गोल्ड हैं। वह 1928 में एम्सटरडैम, 1932 में लॉस एंजिलिस और 1936 में बर्लिन में गोल्ड मेडल जीतने वाली टीम का हिस्सा थे। ध्यानचंद के नाम इंटरनेशनल करियर में 400 से ज्यादा गोल हैं। भारतीय हॉकी के स्वर्णिम काल में सबसे बड़े सितारे ध्यानचंद ही थे।
खेल अवॉर्ड और स्पोर्ट्स डे ध्यानचंद के नाम
ध्यानचंद ने अंतरराष्ट्रीय करियर में जो सफलता हासिल की उसी वजह से उन्हें भारत का सबसे बड़ा स्पोर्ट्स आइकन माना जाता है। देश का सबसे बड़ा खेल पुरस्कार ‘खेल रत्न अवॉर्ड’ भी ध्यानचंद के नाम पर ही रखा गया है। भारत का नेशनल स्टेडियम भी उन्हीं के नाम पर है। देश की राजधानी स्थित स्टेडियम में ध्यानचंद की प्रतिमा भी लगाई गई है। ध्यानचंद का निधन 1979 में हुआ। इन सबके बावजूद उन्हें अब तक देश का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्म से सम्मानित नहीं किया गया है, जबकि उनका निधन हुआ 45 साल हो गए हैं।
ध्यानचंद को नहीं मिला भारत रत्न
भारत रत्न, देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह किसी भी क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए दिया जाता है, जिसने देश का गौरव बढ़ाया हो। ऐसा नहीं है कि यह सम्मान खिलाड़ी को नहीं दिया जाता है। भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को भी भारत रत्न दिया गया है। ऐसे में बार-बार ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग उठती रही है। हालांकि, उनके बेटे अशोक ध्यानचंद इसके लिए सरकार से अपील करने को तैयार नहीं है। वह कई बार इस पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
अशोक कुमार पिता के लिए नहीं मांगेगे भारत रत्न
कोविड के दौरान खेल दिवस के मौके पर अशोक ने कहा था, ‘यह न सिर्फ हमारे परिवार के लिए, बल्कि सभी खेल प्रेमियों के लिए भी गर्व की बात होगी। सच्चाई यह भी है कि ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग भारतीय लोगों ने की है, हमने नहीं। अब सिर्फ सरकार को ही इस पर फैसला करना है। मेरी जानकारी के मुताबिक, यूपीए-2 के दौरान खेल मंत्रालय ने दद्दा (ध्यानचंद) को भारत रत्न दिए जाने की सिफारिश की थी, लेकिन पता नहीं किस कारण से सचिन तेंदुलकर के नाम पर मुहर लग गई।’
इसके बाद अशोक कुमार ने भाजपा सरकार के आने के बाद फिर से शिकायत की। उन्होंने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दद्दा (ध्यानचंद) को भारत रत्न देने की फाइल पर हस्ताक्षर भी कर दिए थे और तब के खेल मंत्री को इस बारे में बता दिया था। बाद में इस फैसले को खारिज कर दिया गया। ऐसा करके सरकार ने ना सिर्फ हमें अपमानित किया, बल्कि राष्ट्र के एक बेहतरीन खिलाड़ी का भी अपमान किया। मैं भारत रत्न के लिए भीख नहीं मानूंगा। “