वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत की डोपिंग एजेंसी नाडा खिलाड़ियों का सही संख्या में टेस्ट नहीं कर रही है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में भी यह दावा किया गया है कि नाडा जितने डोप टेस्ट करती है उसमें क्रिकेटर्स की संख्या बेहद कम होती है। नाडा एक तरह से क्रिकेटर्स पर मेहरबान नजर आती है जबकि वह ओलंपिक मेडलिस्ट समेत बाकी अन्य खिलाड़ियों के लगातार टेस्ट ले रही हैं।
2019 से शुरू हुए क्रिकेटर्स के डोपिंग टेस्ट
इंडियन एक्सप्रेस की आरटीआई के जवाब में जो रिपोर्ट दी गई है उसके मुताबिक साल 2021 से लेकर 2022 के बीच नाडा ने 5961 टेस्ट किए हैं जिसमें से केवल 144 क्रिकेटर्स हैं। आपको बता दें कि नाडा ने साल 2019 के बाद से क्रिकेटर्स का डोपिंग टेस्ट लेना शुरू किया है। इससे पहले नाडा क्रिकेटर्स का डोपिंग टेस्ट नहीं कराती थी।
रवि दहिया का 18 बार हुआ है डोपिंग टेस्ट
एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 से 2022 के बीच सबसे ज्यादा डोप टेस्ट एथलीट्स के हुए हैं। 5961 में से 1717 डोप टेस्ट एथलीट के थे। ओलंपिक मेडलिस्ट्स पर नाडा की खास नजर रही। जनवरी 2021 से लेकर दिसंबर 2022 के बीच ओलंपिक में सिल्वर जीतने वाले रेसलर रवि दहिया का 18 बार डोप टेस्ट किया गया है। नाडा अधिकारियों में अलग-अलग जगह दहिया के सैंपल लिए। वहीं वेटलिफ्टर मीराबाई चानू को 8 बार और नीरज चोपड़ा को विदेश में रहते हुए भी पांच पर डोप टेस्ट देना पड़ा।
रोहित शर्मा का छह बार हुआ है डोप टेस्ट
इसकी तुलना में क्रिकेट की बात करें तो यहां मामला कुछ अलग नजर आता है। भारतीय कप्तान रोहित शर्मा का सबसे ज्यादा छह बार टेस्ट किया गया। रोहित का मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद और यूएई में टेस्ट किया गया। रोहित के अलावा सूर्यकुमार यादव और चेतेश्वर पुजारा का 3-3 बार टेस्ट किया गया। बीसीसीआई के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट के 25 खिलाड़ियों में से 12 का एक भी बार टेस्ट नहीं किया गया जिसमें पूर्व कप्तान विराट कोहली, बल्लेबाज श्रेयस अय्यर, दीपक हुड्डा, संजू सैमसन, हार्दिक पंड्या, तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी और उमेश यादव का नाम शामिल है।
महिला क्रिकेटर्स का भी हुआ है डोप टेस्ट
महिला टीम की बात करें तो यहां सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में शामिल सभी खिलाड़ियों का एक-एक बार टेस्ट किया गया है। टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर और उप-कप्तान स्मृति मांधना का सबसे ज्यादा तीन बार डोप टेस्ट हुआ। यह संख्या एथलीट्स के मुकाबले काफी मामूली है। क्रिकेटर्स का हमेशा से तर्क रहा है कि वह नाडा के साथ अपनी लोकेशन शेयर करने में सहज नहीं है। इसी कारण बीसीसीआई को नाडा के अंदर आने में काफी समय लग गया था।