भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) लेने में कोई सानी नहीं। वनडे और टी20 की कप्तानी छोड़ने के बाद इंग्लैंड के खिलाफ लगातार दूसरे वनडे में उनकी यह काबिलियत देखने को मिली। 19 जनवरी को कटक में खेले गए दूसरे वनडे में धोनी ने युवराज को आउट होने से बचा लिया। इसके चलते युवराज ने पहली बार वनडे क्रिकेट में 150 रन का आंकड़ा छुआ। भारतीय पारी के 41वें ओवर में क्रिस वोक्स के ओवर की पांचवी गेंद पर युवी ने ऑफ साइड में गेंद को दिशा देने की कोशिश की। गेंद उनके बल्ले का किनारा लेकर विकेटकीपर जोस बटलर के दस्तानों में समा गई। गेंदबाज और विकेटकीपर की अपील पर अंपायर अनिल चौधरी ने युवराज को आउट कर दिया। लेकिन नॉन स्ट्राइकर एंड पर खड़े धोनी ने अंपायर के अंगुली के पूरा उठने और युवराज की ओर देखे बिना ही डीआरएस मांग लिया। इसके बाद युवराज ने भी फैसले के खिलाफ अपील की।
रिप्ले में दिखार्इ दिया कि गेंद युवराज के बल्ले को छूने के बाद जमीन पर लग गई थी तीसरे अंपायर ने अनिल चौधरी को फैसला बदलने को कहा। धोनी की तुरंत अपील के चलते युवराज बच गए और उन्होंने 150 रन की पारी खेली। यह उनके वनडे क्रिकेट की सबसे बड़ी पारी है। धोनी और युवी के बीच कटक वनडे में चौथी पारी में 254 रन की साझेदारी हुई। इसकी बदौलत भारत ने तीन विकेट पर 25 रन की खराब स्थिति से उबरते हुए 6 विकेट पर 381 रन का स्कोर खड़ा किया। टीम इंडिया के लिए यह स्कोर मैच और सीरीज जिताने वाला रहा। भारतीय गेंदबाजों ने इंग्लैंड की पारी 366 रन पर रोक दी। भारत ने 15 रन से मैच जीतकर तीन वनडे की सीरीज में 2-0 से बढ़त ले ली।
वनडे श्रृंखला शुरू होने से पहले ही विराट कोहली ने डीआरएस पर महेंद्र सिंह धोनी की बात आंख मूंदकर मानने का बयान दिया था। कोहली ने कहा था कि आंकड़ें देखने पर पता चलता है कि 95 प्रतिशत बार धोनी का डीआरएस रिव्यू सही रहा है। इसलिए उनकी बात मानी जाएगी। कप्तान कोहली की बात को धोनी ने पुणे वनडे में भी साबित कर दिया था जब हार्दिक पांड्या की गेंद इयॉन मॉर्गन के कैच की अपील ठुकरा दी थी। धोनी ने बिना कप्तान से पूछे डीआरएस मांग लिया था। बाद में कोहली ने डीआरएस लिया और इसमें फैसला भारत के पक्ष में गया।

