महेंद्र सिंह धोनी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। धोनी के खिलाफ आंध्र प्रदेश के अनंतपुर की कोर्ट में चल रहे धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले को रद्द कर दिया गया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अंग्रेजी मैगजीन के एडिटर के खिलाफ भी मामला खारिज कर दिया। कोर्ट ने मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि धोनी ने जानबूझकर और दुर्भावना के साथ ये काम नहीं किया। अगर धोनी के खिलाफ कार्रवाई होती है तो ये कानून का माखौल उड़ाना होगा।
बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता जयकुमार हीरमथ ने याचिका दायर करके आरोप लगाया था कि धोनी पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर भगवान विष्णु के रूप में अपने हाथ में जूता पकड़े हुए दिखाए गए हैं, जो हिन्दू देवता का अपमान है और इससे लोगों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचा है। शिकायत पर संज्ञान लेते हुए अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने धोनी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295 (धार्मिक भावनाएं आहत करने से संबंधित) के अलावा धारा 34 (इरादतन) के तहत मामला दर्ज करने के निर्देश दिये थे। बाद में मजिस्ट्रेट ने धोनी को अदालत में उपस्थित होने के लिए समन जारी किया था जिसके खिलाफ वह उच्च न्यायालय चले गये थे।
इससे पहले 5 सितंबर को भी सुप्रीम कोर्ट ने एक पत्रिका के मुखपृष्ठ पर खुद को भगवान के रूप में दर्शाकर कथित तौर पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए महेंद्र सिंह धोनी के खिलाफ दायर आपराधिक मामले को खारिज कर दिया था। उस वक्त न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अगुआई वाली पीठ ने धोनी को राहत देते हुए कहा था कि कर्नाटक की निचली अदालत ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना इस क्रिकेटर को समन भेजने की गलती की।
इस मामले में दायर आपराधिक कार्रवाई करने वाली याचिका को कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद धोनी ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।
