पुरुष क्रिकेट की चर्चा और आकलन से पटे खबर जगत में शानदार प्रदर्शन से महिला खिलाड़ियों ने सेंध लगानी शुरू कर दी है। भारत की दिग्गज क्रिकेटर मिताली राज ने हाल के दिनों में दो रेकॉर्ड अपने नाम किए। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 10 हजार रन बनाने वाली वे विश्व की दूसरी खिलाड़ी बनीं। साथ ही एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सात हजार रन पूरा करने वाली दुनिया की पहली महिला क्रिकेटर बन गई हैं। मिताली के इन उपलब्धियों ने भारतीय महिला क्रिकेट को एक नया आयाम दिया है। पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने की परिभाषा की नई व्याख्या की है। आठ साल की उम्र तक ज्यादा सोना जिसका सबसे पसंदीदा काम होता था, उसने पूरी दुनिया की महिलाओं को जगाने का काम किया है।
मिताली के नाम आज कई रेकॉर्ड हैं जिसके आधार पर उनके खेल का आकलन किया जा सकता है। लेकिन इससे इतर उन्होंने भारतीय क्रिकेट जगत की महिला खिलाड़ियों को जूझने और हर मुश्किल हालात से लड़ने का जो जज्बा दिया, वह काबिलेतारीफ है। ज्यादा पीछे न जाते हुए 2017 के विश्व कप से मिताली की कहानी का आगाज करते हैं। भारतीय टीम बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए फाइनल में पहुंच गई। मुकाबला लॉर्ड्स के मैदान पर था।
मिताली मैच से पहले मैदान पर कुछ इस अंदाज में पहुंची, जो चर्चा का विषय बन गया। उनके एक हाथ में किताब और दूसरे में क्रिकेट किट। बाद में उन्होंने बताया कि वे मैच का दबाव कर करने के लिए किताबें पढ़ती हैं। इस मुकाबले में भारतीय टीम हार गई लेकिन उसने लोगों का दिल जीत लिया। यह मुकाबला भारत में क्रिकेट के दोबारा उदय के लिए काफी अहम माना गया और इस टूर्नामेंट के फाइनल तक पहुंचाने का पूरा श्रेय मिताली को जाता है।
1999 में भारतीय टीम के लिए एकदिवसीय क्रिकेट में पदार्पण करने वाली मिताली ने अपने पहले ही मुकाबले में आयरलैंड के खिलाफ 114 रन की पारी खेली थी। उन्होंने पहली विकेट के लिए रेशमा गांधी (104) के साथ 258 रन की साझेदारी की थी। एक खेल पत्रिका को दिए साक्षात्कार के मुताबिक आठ साल की उम्र तक वह काफी आलसी थीं। उन्हें सोना पसंद था। उनकी इस आदत को समाप्त करने के लिए पिता दोराई राज ने उन्हें भाई के साथ सिकंदराबाद के संत जॉन्स अकादमी में भेजना शुरू किया। मिताली यहां बाउंड्री पर बैठकर स्कूल से मिले होमवर्क करतीं।
इसके समाप्त होने के बाद बल्ला उठाकर गेंद पर तेज प्रहार करतीं। हालांकि यह सिर्फ अनौपचारिक अभ्यास होता। इसी दौरान मिताली के शॉट खेलने के तरीके ने वहां के कोच ज्योति प्रसाद को प्रभावित किया। उन्होंने उनके पिता को हैदराबाद के दो उम्र वर्ग (14 और 16) के कोच संपथ कुमार से मिताली को कोचिंग दिलाने की सलाह दी। यहीं से भारतीय क्रिकेट को एक शानदार बल्लेबाज के मिलने की शुरुआत हुई।
38 साल की मिताली करीब दो दशक से भारतीय क्रिकेट पर राज कर रही हैं। दस टैस्ट मैच की 16 पारियों में 51 के औसत से मिताली ने 663 रन बनाए हैं। इसमें उच्च स्कोर 214 रन है। 213 एकदिवसीय मुकाबलों में उन्होंने 50.5 के औसत से 7019 रन बनाए हैं। वहीं टी-20 में 89 मैच की 84 पारियों में उनके नाम 2364 रन दर्ज हैं। 2002 में मिताली जब टैस्ट टीम का हिस्सा बनीं तब अपने तीसरे मुकाबले में ही इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने 209 रन की पारी खेली थी। ये उस समय की सबसे बड़ी टैस्ट पारी थी, जो 2004 तक मिताली के ही नाम रही। बाद में पाकिस्तान की किरन बलूच ने 242 रन की पारी के साथ इस रेकॉर्ड को तोड़ा।
समानता के लिए भी मुखर
मिताली राज की तुलना करने के लिए भारत या अन्य देशों के महिला क्रिकेटरों के आंकड़े शायद कम पड़ जाएं। उनके खेल और रेकॉर्ड के आकलन के लिए पुरुष क्रिकेटरों के प्रदर्शन पर ही निगाहें टिकानी होंगी। हालांकि भारत के क्रिकेट प्रशंसकों में एक आदत है जिससे मिताली काफी नाराज दिखती हैं। दरअसल, महिला क्रिकेटरों की उपलब्धियों को सही ठहराने के लिए अकसर पुरुष क्रिकेटरों का हवाला दिया जाता है।
मिताली ने 2017 विश्व कप के दौरान 24 जून को इंग्लैंड के खिलाफ मुकाबले में 71 रन की पारी खेली थी। यह रेकॉर्ड पारी थी क्योंकि उन्होंने लगातार सातवीं एकदिवसीय अर्धशतक लगाए थे। दुनिया के किसी भी महिला बल्लेबाज ने यह कारनामा नहीं किया है। इस प्रदर्शन से पहले भी उनके नाम कई रेकॉर्ड दर्ज हैं। हालांकि विश्व कप शुरू होने से पूर्व एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसी ने मिताली से पूछा किया उनका पसंदीदा पुरुष क्रिकेटर कौन हैं।
यूं तो इसका जवाब काफी आसान होता लेकिन मिताली बेहद गंभीरता से एक सवाल दागा। उन्होंने कहा क्या ये सवाल आप किसी पुरुष क्रिकेटर से भी करते हैं। क्या कभी पूछा है कि उनकी फेवरेट महिला क्रिकेटर कौन हैं। मिताली के इस बात ने काफी प्रभावित किया। उनके सवाल में ही जवाब था। वे बताना चाहती थीं कि महिला क्रिकेटरों का प्रदर्शन भी इस मुकाम पर पहुंच चुका है जहां किसी और से उनकी तुलना की जरूरत नहीं।
