टोक्यो ओलंपिक में भारत ने 121 साल के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। इस ओलंपिक में भारत ने अब तक सबसे ज्यादा पदक एक ओलंपिक में अपने नाम किए हैं। इस ओलंपिक में भारत के खाते में आए हैं 7 मेडल जिसमें एक गोल्ड, 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज शामिल हैं। इससे पहले भारत ने 2012 के लंदन ओलंपिक में 6 मेडल जीते थे। वहीं भारत की इस सफलता का सबसे बड़ा श्रेय जा रहा है विदेशी कोचों को। सिर्फ मीराबाई चानू के कोच इन 7 में से स्वदेशी थे।
आपको बता दें भारत को 7 मेडल टोक्यो ओलंपिक में मिले हैं। 7 में से 6 मेडल भारत को विदेशी कोच की सफलता से मिले हैं। जिसमें गोल्डेन ब्वॉय नीरज चोपड़ा, रेसलर रवि दहिया, बजरंग पूनिया, शटलर पीवी सिंधु, मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन और भारती पुरुष हॉकी टीम का नाम शामिल है। इन इवेंट में भारतीय दल को विदेशी कोच की मदद से ही मेडल मिल सका है।
वहीं मीराबाई चानू को स्वदेशी कोच विजय शर्मा ने कोचिंग दी है। शर्मा इकलौते स्वदेशी कोच हैं जिनकी मदद से भारत को मेडल मिल सका है। इसके अलावा सभी भारतीय खिलाड़ियों को विदेशी कोच की मदद से मेडल मिल सका है।
नीरज चोपड़ा के कोच उवे हॉन (जर्मनी)
जिन विदेशी कोचों की मदद से भारतीय खिलाड़ियों ने टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचा है उसमें सबसे पहला नाम आता है नीरज चोपड़ा के कोच उवे हॉन (Uwe Hohn) का। जर्मनी के हॉन ने अपने हमवतन सहयोगी बायोकेमिकल एक्सपर्ट डॉ. क्लॉस बार्टोनीट्ज (Dr. Klaus Bartoneitz) की मदद से भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा को ट्रेन किया है और इसका परिणाम हमको टोक्यो ओलंपिक में देखने को मिला है।
पीवी सिंधु के कोच पार्क ताई संग (दक्षिण कोरिया)
भारत की स्टार शटलर पीवी सिंधु ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य मेडल जीतकर लगातार दूसरा ओलंपिक मेडल जीता है। रियो में पुलेला गोपीचंद की कोचिंग में उतरी सिंधु ने टोक्यो में अपने दक्षिण कोरियाई कोच पार्क ताई संग (Park Tae Sang) की मदद से देश को लगातार दूसरा ओलंपिक मेडल बैडमिंटन में दिलाया।
रवि दहिया के कोच कमाल मालिकोव (रूस)
भारतीय रेसलर रवि कुमार दहिया ने देश को इस ओलंपिक का दूसरा सिल्वर मेडल दिलाया है। उनकी इस सफलता का सबसे बड़ा श्रेय जाएगा उनके रूसी कोच कमाल मालिकोव (Kamal Malikov) को। दहिया को शुरुआती स्टेज में स्वदेशी कोच सतपाल सिंह ने उन्हें रेसलिंग के लिए तैयार किया।
बजरंग पूनिया के कोच शाको बेंटिनीडीस (जॉर्जिया)
भारत के एक और रेसलर दीपक पूनिया ने भी देश का नाम टोक्यो ओलंपिक में ऊंचा किया है। उन्हें सेमीफाइनल में हार जरूर मिली लेकिन ब्रॉन्ज मेडल मैच जीतकर उन्होंने देश को चौथा ब्रॉन्ज भी इस ओलंपिक में दिलाया। उनकी सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ रहा उनके जॉर्जियाई कोच शाको बेंटिनीडीस (Shako Bentinidis) को।
लवलीना बोरगोहेने के हाय परफॉर्मेंस डायरेक्टर राफेल बर्गमास्को (इटली)
भारत को टोक्यो ओलंपिक में एक और ब्रॉन्ज मेडल दिलाया युवा मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने। उनकी सफलता का भी श्रेय एक विदेशी डायरेक्टर को भी जाता है। लवलीना को इटली के हाय परफॉर्मेंस डायरेक्टर राफेल बर्गमास्को (Raffaele Bergamasco) ने काफी कड़ी मेहनत के साथ ओलंपिक के लिए ट्रेन किया था।
भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कोच ग्राहम रीड (ऑस्ट्रेलिया)
नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल के बाद टोक्यो ओलंपिक का जो सबसे सुनहरा लम्हा था वो था भारतीय पुरुष हॉकी का 41 साल बाद ओलंपिक मेडल जीतना। इस टीम ने देश में राष्ट्रीय खेल को दोबारा खड़ा कर दिया है। इस टीम को खड़ा करने का सबसे बड़ा श्रेय जाता है ऑस्ट्रेलियाई कोच ग्राहम रीड (Graham Reid) को।