संदीप भूषण
इसमें कोई शक नहीं है कि 2016 के अंत तक भारतीय बैडमिंटन की पहचान साइना नेहवाल और पीवी सिंधू से थी। रियो ओलंपिक में रजत पदक के साथ साल का सुखद अंत करने वाली सिंधू ने विश्व में देश का परचम लहराया और भारतीय बैडमिंटन जगत में महिलाओं के दबदबे को कायम रखा। 2017 में महिलाओं के कब्जे को किदांबी श्रीकांत ने खत्म किया। इसके बाद एचएस प्रणय और बी साई प्रणीत जैसे पुरुष खिलाड़ी भी नए सितारे बनकर उभरे।
भारतीय बैडमिंटन में पुरुषों का ग्राफ बढ़ा
दरअसल, इससे पहले भी एक दौर था जब भारतीय बैडमिंटन में पुरुषों का दबदबा था। प्रकाश पादुकोण नब्बे के दशक में भारत के पहले ऐसे बैडमिंटन खिलाड़ी बने जिनहोंने इंग्लैंड चैंपियनशिप अपने नाम की। इसके लगभग दस साल बाद पुलेला गोपीचंद दूसरे ऐसे खिलाड़ी बने जिन्होंने इस खिताब को अपने नाम किया। 2001 में चीन के चेन होंग को मात देकर इस खिताब को हासिल करने वाले आंध्र प्रदेश के इस शटलर के बाद बैडमिंटन में धीरे-धीरे पुरुषों का दबदबा खत्म होने लागा। साइना और सिंधू जैसी होनहार ने दमखम के साथ भारत का नेतृत्व किया। साल 2017 इसमें एक पड़ाव बनकर उभरा।
2017 में किदांबी ने एक साल के भीतर चार सुपर सीरीज खिताब और छह
खिताबों पर कब्जा कर खुद को साबित किया। आंकड़े भी इस युवा शटलर की कामयाबी के गवाह हैं। अपने करिअर के 260 मैचों में 174 जीत और 86 हार के साथ वे एक दमदार शटलर बनकर उभरे हैं। 2017 में उनके करिअर पर नजर डालें तो उन्होंने 48 मैचों में से 37 में जीत दर्ज की है। इससे साफ हो जाता है कि वे लंबी रेस के घोड़े हैं। हालांकि यह सवाल भी पूछे जा रहे हैं कि क्या श्रीकांत भारतीय बैडमिंटन को उस पुराने गौरवशाली दौर में ले जा पाएंगे।इसके अलावा बी साई प्रणीत ने सिंगापुर ओपन में श्रीकांत को मात देकर खिताब जीता। नंबर एक खिलाड़ी रहे चीन के ली चोंग और चेंग लांग को हराने वाले प्रणव भी भारतीय बैडमिंटन जगत के उभरते सितारे हैं।
बढ़ी लोकप्रियता
भारत में क्रिकेट को मंदिर और क्रिकेटरों को भगवान की उपमा दी जाती है। कोई भी मैच हो दर्शक टीम की हौसलाअफजाई के लिए स्टेडियम तक पहुंचते ही हैं। इसकी चमक ऐसी कि बाकी सभी खेल पीछे छुटते गए। हालांकि रियो में पीवी सिंधू के फाइनल मैच ने इस मिथक को तोड़ा कि भारतीयों को क्रिकेट ही ज्यादा पसंद है। टीवी पर उस मैच के करोड़ों लोग गवाह बने। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय स्टार खिलाड़ियों ने लोगों में बैडमिंटन के लिए दिलचस्पी बढ़ाई है। खिलाड़ियों को अब बेहतर प्रायोजक मिल रहे हैं।
साथ ही प्रीमियर लीग का आगमन भी बैडमिंटन को दिन-प्रतिदिन लोकप्रिय बना रहा है। प्रीमियर बैडमिंटन लीग में दुनियाभर के बेहतरीन शटलर अपनी प्रतिभा का नमूना पेश करते हैं साथ ही युवा खिलाड़ियों को भी मौका मिलता है।
प्रीमियर बैडमिंटन लीग-3
टीम और खिलाड़ी बढ़े
06 टीम खेली थी पीबीएल के दूसरे संस्करण में
08 टीम हो गई है इस बार इस मुकाबले में
20 खिलाड़ी भी बढ़े हैं पीबीएल में इस बार
80 खिलड़ियों का टूर्नामेंट में होगा मुकाबला
17 जूनियर खिलाड़ी भी दिखाएंगे हुनर
पीबीएल की टीमें
चेन्नई स्मैशर्स, अवध वॉरियर्स, हैदराबाद हंटर्स, दिल्ली डैशर्स, मुंबई रॉकेट्स, बंगलुरु ब्लासटर्स, इस्टर्न वॉरियर्स, अमदाबाद स्मैश मास्टर्स
पांच चरण में मुकाबले
23 से 26 दिसंबर तक गुवाहाटी में चार मुकाबले
27 से 31 दिसंबर तक दिल्ली में पांच मुकाबले
01 से 04 जनवरी तक लखनऊ में चार मुकाबले
05 से 09 जनवरी तक चेन्नई में पांच मुकाबले
10 से 11 जनवरी तक हैदराबाद में दो मुकाबले
12 व 13 जनवरी को सेमी फाइनल हैदरबाद में
14 जनवरी को फाइनल मुकाबला हैदराबाद में
पुरस्कार राशि
20 करोड़ रुपए का कुल बजट है टूर्नामेंट का
06 करोड़ रुपए की कुल पुरस्कार राशि बंटेगी
03 करोड़ रुपए की पुरस्कार राशि विजेता टीम को
1.5 करोड़ रुपए मिलेंगे उप विजेता टीम को
महिला बैडमिंटन में निरंतरता की कमी
महिला बैडमिंटन में रियो ओलंपिक खेलों में भारत के लिए रजत पदक हासिल करने वाली सिंधू के प्रदर्शन में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला। साइना नेहवाल भी आस्ट्रेलिया ओपन में ज्यादा कमाल नहीं दिखा सकीं। उनकी विश्व रैंकिंग में गिरावट देखी गई। महिला युगल की बात करें तो अश्विनी पोनप्पा और ज्वाला गुट्टा की जोड़ी में से गुट्टा के संन्यास के बाद सिक्की रेड्डी ने एक नई उम्मीद जगाई है।
श्रीकांत के सुपर सीरीज खिताब
फ्रेंच ओपन 2017
डेनमार्क ओपन 2017
आस्ट्रेलियाई ओपन 2017
इंडोनेशियाई ओपन 2017
इंडिया ओपन 2015
चाइना ओपन 2014