पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को अपना आदर्श और ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज मिचेल स्टार्क को रोल मॉडल मानने वाली भारतवंशी महिका गौर ने दूसरी बार इंटरनेशनल डेब्यू किया है। 17 वर्षीय माहिका गौर ने गुरुवार को इंग्लैंड के लिए पहला इंटरनेशनल मैच खेला। श्रीलंका के खिलाफ पहले टी20 में माहिका को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया और उन्होंने पहले ही मैच में डेब्यू विकेट भी चटकाया। श्रीलंका की चमारी अट्टापट्टू उनकी डेब्यू विकेट बनी।
यूएई के लिए 19 इंटरनेशनल मैच खेली हैं माहिका
मूल रूप से भारत की रहने वाली माहिका गौर ने दूसरी बार अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया है। 5 साल पहले 12 साल की उम्र में उन्होंने यूएई के लिए भी इंटरनेशनल डेब्यू किया था। लेफ्ट आर्म पेसर माहिका गौर ने यूएई के लिए 19 टी20 इंटरनेशनल मुकाबले खेले हैं, जिसमें उन्होंने 9 विकेट चटकाए। माहिका ने इंग्लैंड के लिए पहले ही मैच में पहला इंटरनेशनल विकेट भी हासिल कर लिया। हालांकि वह मैच में और विकेट चटका सकती थीं, लेकिन बारिश ने मैच में खलल डाल दिया।
इंग्लैंड ने माहिका के डेब्यू में दर्ज की जीत
माहिका गौर के डेब्यू मैच में इंग्लैंड ने डकवर्थ लुइस नियम के तहत 12 रन से जीत दर्ज की। इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका को 187 रन का लक्ष्य दिया था, लेकिन श्रीलंकाई टीम 55/3 पर खेल रही थी कि तभी बारिश ने मैच में खलल डाल दिया। उसके बाद मैच नहीं हो पाया और इंग्लैंड ने डकवर्थ लुइस नियम से मैच जीत लिया। मैच के बाद इंग्लैंड की कप्तान हीथर नाइट ने माहिका की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि माहिका ने अपने डेब्यू में बेहतरीन गेंदबाजी की है।
धोनी और स्टार्क हैं उनके आदर्श
हीथर नाइट ने आगे कहा कि माहिका गौर को अपनी लंबाई का अच्छा मिला है और मिलता रहेगा। स्विंग गेंदबाजी उनका सबसे बड़ा हथियार है। उन्होंने अपने डेब्यू में शानदार गेंदबाजी की। आपको बता दें कि माहिका गौर अपने जीवन में एमएस धोनी और मिचेल स्टार्क को अपना आदर्श मानती हैं। माहिका हमेशा से चाहती थी कि वह मिचेल स्टार्क की तरह गेंदबाजी करें औरएमएस धोनी की तरह अपने करियर को खत्म करें।
कौन हैं माहिका गौर?
इंग्लैंड में जन्मीं माहिका ने 2011 में जयपुर में एक आईपीएल मैच के दौरान क्रिकेटर बनने का फैसला किया था। अपने क्रिकेटर बनने के पीछे की वजह बताते हुए गौर ने इस साल अप्रैल में बताया था कि जब वह ग्राउंड में बॉलिंग का अभ्यास करती थीं मेरे पिता यह देखकर हैरान रह गए थे कि मैं अपना हाथ पूरा घुमा पा रही हूं। माहिका को कॉलेज में कभी क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिला, लेकिन जब मेरे पिता ने मुझे देखा तो उन्हें लगा कि मैं आगे जा सकती हूं। माहिका का परिवार यूएई शिफ्ट हो गया था और उन्हें वहां आईसीसी की एकेडमी में एडमिशन ले लिया।